प्रो. बुशरा ने हाल ही में एक रिसर्च के जरिये पता किया था कि प्रोस्टेट में स्पिंक-1 जीन के चलते ट्यूमर होता है। यह आगे चलकर फेफड़े और पैक्रिएटिक तक को प्रभावित कर देता है जिससे इंसान का बचना मुश्किल हो जाता है। अब चूंकि इस प्रोस्टेट कैंसर का पता चल गया है तो वैज्ञानिक इसका इलाज भी ढूंढ पाएंगे।
प्रोस्टेट कैंसर केवल पुरुषों में होता है। ज्यादातर पीडि़त 50 या इससे अधिक आयु वर्ग के होते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि धीरे-धीरे यह समस्या कब कैंसर का रूप ले लेती है, यह कोई भी पीडि़त नहीं समझ पाता। डॉक्टर इसका असर कम करने के लिए दवा जरूर चलाते हैं मगर यह कारगर साबित नहीं होती है। कारण, अभी तक प्रोस्टेट में ट्यूमर उत्पन्न होने का कारण नहीं पता चल पाया था। इससे न तो सही इलाज संभव हो पा रहा था और न ही इसकी असली दवा बनी थी। प्रो. बुसरा ने बताया कि प्रोस्टेट में मौजूद स्पिंक जीन ट्यूमर का रूप धारण कर लेता है जिसके चलते कैंसर होता है। आगे चलकर यही जीन इंसान के फेफड़े और पैनक्रिएटिक, छाती और ओवैरियन कैंसर में तब्दील हो जाती है। वैज्ञानिकों ने बताया कि यह स्पिंक जीन ईजेडएच-2 प्रोटीन से तैयार होते हैं।