कानपुर आईआईटी की सबसे खास बात यह है कि प्रो. केलकर के जमाने में स्थापित होने वाला यह पहला संस्थान है, जिसने विज्ञान पर आधारित शिक्षा प्रणाली तैयार की। इतना ही नहीं ग्रेडिंग व सेमेस्टर सिस्टम भी इसी संस्थान की देन है। यहां से निकलने वाले वैज्ञानिकों ने देश ही नहीं बल्कि दुनिया में नाम कमाया और देश का नाम विश्व पटल पर चमकाया।
आईआईटी की याद दिलाने वाले इस डाक कवर को चीफ पोस्ट मास्टर जनरल केके सिन्हा व निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर ने संस्थान में जारी किया है। यह विशेष कवर बनने के साथ ही इसकी बुकिंग शुरू हो गई है। कुछ प्रोफेसर ने इसे खरीद भी लिया है। डाक विभाग ऐसे केवल 1500 विशेष आवरण कवर बना रहा है। एक आवरण कवर की कीमत 20 रुपये रखी गई है। बताते चलें कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर की स्थापना 1959 में हुई थी। इस वर्ष यह संस्थान अपनी हीरक जयंती वर्ष मना रहा है।
आईआईटी ने अपने इतने लंबे वर्षों के सफर में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। एयरोस्पेस, रोबोटिक्स, हल्के लड़ाकू विमान, मानव रहित यान की तकनीक विकसित करने जैसी उपलब्धियां तो आइआइटी के पास हैं ही। इस दौर में संस्थान ने देश में कई ऐसे शोध किए हैं, जो समाज के लिए बेहद लाभपरक रहे। साथ ही उद्योगों की जरूरतों को भी पूरा करने का काम किया है। उपलब्धियों के इस सिलसिले को डाक कवर में पिरोया गया है।
इस डाक कवर पर आइआइटी के आइकॉन पीके केलकर लाइब्रेरी की फोटो बनी हुई है। प्रो. केलकर के नाम से बनी इस लाइब्रेरी की खासियत यह है कि इसमें इंजीनियरिंग व विज्ञान के अलावा समाज शास्त्र व मानविकी की पुस्तकों का बड़ा संग्रह है। चीफ पोस्ट मास्टर जनरल केके सिन्हा ने बताया कि विशेष आवरण कवर से लोग आइआइटी के बारे में जानेंगे।