scriptकोरोना का संक्रमण फैलाने वालों को ढूंढ निकालेगा आईआईटी का यह एप | IIT's Corona-340 app will catch those who spread the infection | Patrika News

कोरोना का संक्रमण फैलाने वालों को ढूंढ निकालेगा आईआईटी का यह एप

locationकानपुरPublished: Apr 20, 2020 11:17:49 am

कैम्पस हाट एप में जरूरत के मुताबिक बदलाव कर कोरोना-३६० नाम दिया गया संक्रमित मरीजों और संपर्क में आने वालों की सूचना सभी के फोन पर होगी शेयर

कोरोना का संक्रमण फैलाने वालों को ढूंढ निकालेगा आईआईटी का यह एप

कोरोना का संक्रमण फैलाने वालों को ढूंढ निकालेगा आईआईटी का यह एप

कानपुर। कोरोना वायरस संक्रमण को कंट्रोल करने में सबसे बड़ी परेशानी लोगों के असहयोग से हो रही है। संक्रमित लोगों में लक्षण सामने आने पर उनकी पहचान तो हो जाती है, लेकिन उनके संपर्क में आने वाले खुद तब तक छिपे रहते हैं, जब तक उनके लक्षण उभरकर सामने ना आएं। इस दौरान ये लोग सैकड़ों लोगों तक संक्रमण फैला देते हैं। इसलिए ऐसे लोगों को तलाश करना मुश्किल हो रहा था। पर आईआईटी कानपुर का नया एप इसमें मददगार साबित होगा। यह एप संक्रमित लोगों के संपर्क में आने वालों को खोज निकलेगा।
स्मार्ट सिटी प्राजेक्ट से होगी निगरानी
आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्रों ने ऐसा एप तैयार किया है, जो सिर्फ स्मार्टफोन ही नहीं बल्कि नॉनस्मार्ट फोन पर भी काम करेगा। आईआईटी के इस स्टार्टअप कैम्पस हाट के सदस्यों ने इसे लेकर नगर आयुक्त से वार्ता की है। अगले एक-दो दिन में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत समझौते के बाद शहर की निगरानी शुरू हो जाएगी। संस्थान के वैज्ञानिकों ने इस प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार को भी भेजा है।
कैम्पस हॉट को बदलकर बनाया कोरोना-३६०
कुछ समय पहले आईआईटी के पूर्व छात्रों ने वैज्ञानिकों की मदद से एक एप तैयार किया था, जिसका नाम है कैम्पस हाट। अभी तक यह एप होम डिलीवरी या लोकेशन जानने के बारे में कार्य कर रहा था। कोविड-19 की इस संकट की घड़ी में सबसे बड़ी समस्या कोरोना संक्रमित मरीज और उनसे मिलने वाले लोग हैं। ऐसे लोगों को ट्रेस (पहचान) करना मुश्किल हो रहा है। इसी को देखते हुए एप के सेंसर व ट्रैकिंग प्रक्रिया में बदलाव कर उसे कोरोना-360 नाम दिया है।
लोगों को देना होगा सही जवाब
कोरोना-३६० एप के जरिए कोरोना संक्रमित मरीजों का डाटा मोबाइल नंबर के जरिए रखा जाएगा। फिर टेलीकॉम कंपनियों के जरिए संक्रमित मरीजों के संपर्क में आने वाले और उनके भी संपर्क में आने वालों का डाटा एकत्र किया जाएगा। फिर इन सभी लोगों के मोबाइल पर एसएमएस भेजा जाएगा, जिसमें उन्हें सेफ या अनसेफ बताना होगा। जरूरत इस बात की है कि लोग सही जवाब ही दें। जिसे बाद में स्वास्थ्य विभाग की टीम से भी री-चेक कराया जाएगा। इसके बाद ड्रोन के जरिए इन सभी लोगों की निगरानी की जाएगी।
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