आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्रों ने ऐसा एप तैयार किया है, जो सिर्फ स्मार्टफोन ही नहीं बल्कि नॉनस्मार्ट फोन पर भी काम करेगा। आईआईटी के इस स्टार्टअप कैम्पस हाट के सदस्यों ने इसे लेकर नगर आयुक्त से वार्ता की है। अगले एक-दो दिन में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत समझौते के बाद शहर की निगरानी शुरू हो जाएगी। संस्थान के वैज्ञानिकों ने इस प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार को भी भेजा है।
कुछ समय पहले आईआईटी के पूर्व छात्रों ने वैज्ञानिकों की मदद से एक एप तैयार किया था, जिसका नाम है कैम्पस हाट। अभी तक यह एप होम डिलीवरी या लोकेशन जानने के बारे में कार्य कर रहा था। कोविड-19 की इस संकट की घड़ी में सबसे बड़ी समस्या कोरोना संक्रमित मरीज और उनसे मिलने वाले लोग हैं। ऐसे लोगों को ट्रेस (पहचान) करना मुश्किल हो रहा है। इसी को देखते हुए एप के सेंसर व ट्रैकिंग प्रक्रिया में बदलाव कर उसे कोरोना-360 नाम दिया है।
कोरोना-३६० एप के जरिए कोरोना संक्रमित मरीजों का डाटा मोबाइल नंबर के जरिए रखा जाएगा। फिर टेलीकॉम कंपनियों के जरिए संक्रमित मरीजों के संपर्क में आने वाले और उनके भी संपर्क में आने वालों का डाटा एकत्र किया जाएगा। फिर इन सभी लोगों के मोबाइल पर एसएमएस भेजा जाएगा, जिसमें उन्हें सेफ या अनसेफ बताना होगा। जरूरत इस बात की है कि लोग सही जवाब ही दें। जिसे बाद में स्वास्थ्य विभाग की टीम से भी री-चेक कराया जाएगा। इसके बाद ड्रोन के जरिए इन सभी लोगों की निगरानी की जाएगी।