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नदियों में प्रदूषण से जुड़ी पल-पल की जानकारी देगी आईआईटी की डिवाइस

locationकानपुरPublished: Aug 08, 2019 02:15:47 pm

छह माह में २० नदियों में लगेगी डिवाइस, प्रदूषण कम करने में मिलेगी मदद खुद अपनी पैदा की हुई बिजली से चलेगी डिवाइस, बैटरी की जरूरत नहीं

IIT kanpur

नदियों में प्रदूषण से जुड़ी पल-पल की जानकारी देगी आईआईटी की डिवाइस

कानपुर। नदियों के प्रदूषण पर नजर रखने का काम अब आईआईटी की डिवाइस करेगी। यह डिवाइस बताएगी कि पानी में हानिकारक कण या केमिकल कब मिल रहे हैं और इनकी मात्रा कितनी है। इस रिपोर्ट के आधार पर नदियों में बढ़ रहे प्रदूषण को कम करने की योजना बनाई जा सकेगी। इस डिवाइस को आईआईटी के प्रो. बिशाख भट्टाचार्य और उनकी टीम ने तैयार किया है। यह हर तरह के प्रदूषण का डाटा एकत्र कर सकती है। इसकी शुरुआत गंगा और यमुना नदी से की जाएगी। इसके लिए भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक समझौता किया है। आईआईटी को छह माह में 20 डिवाइस तैयार करनी है, जिसे विभिन्न नदियों में लगाया जाना है।
अमेरिका की नदियों में लगी मशीन से मिली पे्ररणा
नदियों में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने के लिए केंद्र सरकार ही नहीं, राज्य सरकारें भी लगातार प्रयास कर रही हैं। इसी समस्या को रोकने के लिए आईआईटी की टीम ने एक विशेष एनएसवीएस (नीरशरा स्वयंशासित वेधशाला) डिवाइस तैयार की है। इसकी प्रेरणा अमेरिका की मिसिसिपी नदी में लगी मशीनों को देखकर मिली। यह मशीन रियल टाइम मॉनीटरिंग करने के साथ पानी की गुणवत्ता भी बताएगी। संस्थान के काग्नेटिव साइंस विभाग के हेड प्रो. बिशाख भट्टाचार्य की अगुवाई में प्रो. इंद्रसेन, प्रो. केतन राजावत, प्रो. मंगल कोठारी और प्रो. एलेक ने इस डिवाइस को तैयार किया है।
खुद अपनी पैदा की हुई बिजली से चलेगी
प्रो. बिशाख ने पानी की हलचल मात्र से ही बिजली पैदा करने की तकनीक विकसित की है। इस तकनीक के तहत महज 0.5 किमी पानी की रफ्तार में भी बिजली पैदा की जा सकेगी जबकि अभी तक 20 किमी की अधिक रफ्तार से गिरने वाले पानी से बिजली बनाई जाती है। इस तकनीक को एनएसवीएस डिवाइस में लगाया गया है। मतलब इसमें किसी तरह की बैटरी नहीं लगानी होगी। यह खुद बिजली पैदा करेगा और पूरी तरह काम करेगा।
पूरे साल 24 घंटे देगी रिपोर्ट
प्रो. बिशाख का दावा है यह पहली डिवाइस होगी, जो पानी के अंदर लगातार 24 घंटे 365 दिन की रिपोर्ट देगी। अभी तक किसी भी डिवाइस में बिजली पैदा करने की क्षमता नहीं है। अमेरिका की मिसिसिपी नदी में प्रदूषण मापने की जो डिवाइस लगी है वह बैटरी से चलती है। इस कारण उसकी बैटरी बदलने के लिए उसे हर एक-दो माह बाद निकालना पड़ता है। मगर इस डिवाइस में ऐसी समस्या नहीं है।
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