सीएए को लेकर हुई हिंसा के बाद आईआईटी में फैज की नज्म पढ़ी गई। पाकिस्तानी शायर की यह नज्म बगावत का संदेश देती है। इस नज्म को सीएए के लिए हुई हिंसा को उकसाने वाला बताया गया। जब आईआईटी में हुई एक छात्र सभा के दौरान यह नज्म पढ़ी गई तो छात्रों के एक गुट ने इसका विरोध जताकर इसे बीच में ही रुकवा दिया था। जिसके चलते छात्रों के बीच तनाव फैल गया था।
इसके बाद जब यह मामला संस्थान के संज्ञान में आया तो इसकी जांच शुरू कराई गई। फिर जांच में फैज की नज्म के सांप्रदायिक पहलू को लेकर बहस शुरू हो गई। किसी तरह मामले को शांत करने के लिए आईआईटी ने यह कह दिया कि फैज की नज्म को लेकर साम्प्रदायिक बिंदु की जांच नहीं की जाएगी। हालांकि इसके बाद भी इसे लेकर छात्रों के बीच बहस जारी रही।
फैज की नज्म पर विवाद आईआईटी में खत्म नहीं हो पाया था कि छात्र जामिया मिलिया विश्वविद्यालय प्रकरण से जुड़ गए। इस मामले पर दिल्ली में जहां सेलिब्रेटी आंदोलनरत हैं, वहीं आईआईटी में भी विरोध चल रहा है। संस्थान में शांतिपूर्ण सभाएं हो रही है तो सोशल मीडिया पर करारे प्रहार भी। संस्थान के छात्रों से लेकर कई प्रोफेसर जेएनयू में छात्रों पर हुए हमले के विरोध में खड़े नजर आ रहे हैं।
जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के छात्रों पर पुलिस की बर्बरता के खिलाफ आईआईटी के छात्रों ने भी सभा कर शांति मार्च निकाला। प्रदर्शन तो शांति पूर्ण खत्म हो गया लेकिन उसका एक वीडियो वायरल होते ही संस्थान फिर विवादों में घिर गया। संस्थान ने उच्च स्तरीय कमेटी का गठन कर जांच के आदेश दिए हैं। वहीं सोशल मीडिया पर जामिया मिलिया विश्वविद्यालय प्रकरण को लेकर वार चल रहा है। इसमें आईआईटी के छात्र और कुछ प्रोफेसर भी शामिल हैं।