scriptबगैर रन-वे उड़ान भरेगा एयरक्राफ्ट, निगरानी भी करेगा | IIT students built aircraft to fly without runway | Patrika News

बगैर रन-वे उड़ान भरेगा एयरक्राफ्ट, निगरानी भी करेगा

locationकानपुरPublished: Aug 21, 2019 12:06:51 pm

आईआईटी-कानपुर ने बनाया वीटीओएल एयरक्राफ्ट, लैंडिंग पहियों के बजाय पूंछ के जरिए करेगा रफ्तार हवाईजहाज जैसी, पहाडिय़ों, घाटियों में उतरने में सक्षम, सेना और राहत कार्यों में काम आएगा

बगैर रन-वे उड़ान भरेगा एयरक्राफ्ट, निगरानी भी करेगा

बगैर रन-वे उड़ान भरेगा एयरक्राफ्ट, निगरानी भी करेगा

कानपुर। अब एयरक्राफ्ट को उड़ान भरने के लिए किसी रन-वे की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसे आईआईटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के छात्रों ने तैयार किया है। यह पहाडिय़ों या पथरीले रास्ते से न सिर्फ सीधे उड़ान भरेगा बल्कि आसमान की ऊंचाइयों से नजर भी रखेगा। यह ड्रोन की तरह सीधे उड़ान भरेगा लेकिन गति एयरक्राफ्ट की तरह तेज होगी। यह एयरक्राफ्ट सामान्य लैंडिंग करने के बजाए पहले पूंछ (टेल) पर उतरेगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस तरह की लैंडिंग से अन्य की अपेक्षा इसमें दुर्घटना के चांस कम हैं।
टेल सिटर दिया गया नाम
आईआईटी के वैज्ञानिकों की देखरेख में सफल परीक्षण भी हो चुका है। इसका नाम टेल सिटर रखा गया है। क्योंकि यह एयरक्राफ्ट पूंछ के बल लैंडिंग करता है। फिर पूरा जमीन पर आता है। आईआईटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के छात्र केवलिन कुमार ने बताया कि पहाडिय़ों पर या अन्य कई स्थान ऐसे हैं, जहां रन-वे बनाना मुश्किल होता है। ऐसे स्थानों पर ड्रोन अच्छी तरह कार्य करते हैं। लेकिन, ड्रोन की उडऩे की क्षमता और गति एयरक्राफ्ट की अपेक्षा कम रहती है। इसलिए सोचा कि ऐसा एयरक्राफ्ट तैयार किया जाए, जो बिना रन-वे के उड़ान भर सके। साथ ही पहाडिय़ों पर लैंडिंग करते समय उसमें हादसे के चांस भी कम हो। इस एयरक्राफ्ट का पूरा मॉडल तैयार हो गया है।
हादसे की संभावना कम
केवलिन ने बताया कि अन्य एयरक्राफ्ट की अपेक्षा टेल सिटर में दुर्घटना की संभावना कम है। अक्सर लैंडिंग के समय एयरक्राफ्ट क्रैश कर जाते हैं। मगर इसके पूंछ के बल लैंडिंग करने से यह काफी हद तक सुरक्षित है। छात्रों ने बताया कि यह एयरक्राफ्ट सीमा की निगरानी और परिवहन में अधिक उपयोगी साबित होगा। पहाड़ी इलाकों में बिना रन-वे उड़ान भरकर यह सामान को इधर से उधर ले जा सकता है। साथ ही ड्रोन की अपेक्षा अधिक दूरी तय कर सीमा पर निगरानी कर सकता है। केवलिन ने बताया कि रन-वे न होने के कारण इसे हल्का बनाना जरूरी था। इसलिए इसके आगे का रूप ड्रोन की तरह दिया गया है। यह उसी की भांति सीधे उड़ान भरता है।
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