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उत्तराखंड की पहाडिय़ों पर मैराथन जीत कर शहर लौटे आईआईटीयंस

locationकानपुरPublished: Jul 07, 2019 11:49:25 am

कानपुर के आठ छात्रों ने जीतकर हासिल किया मेडलकई स्थानों से आए प्रतिभागी बीच में छोड़ भागे मैराथन

IIt students win by Forrest Mock Ultra Marathon

उत्तराखंड की पहाडिय़ों पर मैराथन जीत कर शहर लौटे आईआईटीयंस

कानपुर। आईआईटी कानपुर के छात्रों ने उत्तराखंड की पहाडिय़ों में भी जीत हासिल कर शहर का नाम रोशन किया। ऊंची पहाडिय़ों के बीच आयोजित मैराथन दौड़ में भाग लेना चुनौती भरा है, लेकिन कानपुर आईआईटी के आठ विद्यार्थियों ने मैराथन जीतकर मेडल हासिल किया।
कनाताल में हुई थी मैराथन
उत्तराखंड के 8500 फीट ऊंचे पहाड़ कनाताल में 29 जून को 63.300 किलोमीटर दूरी वाली फॉरेस्ट मॉक अल्ट्रा मैराथन आयोजित हुई थी। चार वर्गों में बंटी मैराथन में देश-दुनिया के करीब तीन हजार प्रतियोगी शामिल तो हुए, लेकिन करीब 1200 ही दौड़ पूरी कर पाए। बाकी बीच में ही मैराथन छोड़ गए।
नीलाक्षी को गोल्ड मेडल
पहले वर्ग की मैराथन दौड़ 10 किलोमीटर की थी। इसमें पीएचडी की छात्रा नीलाक्षी शकू और भावना सिंह ने हिस्सा लिया। नीलाक्षी ने पहला स्थान पाया तो भावना दौड़ पूरी करने में कामयाब रहीं।
अरुण और सूरज 63.3 किलोमीटर दौड़े
मैटेरियल साइंस एंड इंजीनियरिंग ब्रांच से बीटेक-एमटेक ड्यूअल डिग्री कर रहे अरुण तोमर और सूरज सरकार ने 63.300 किलोमीटर की दौड़ साढ़े आठ घंटों में पूरी की। इस दौड़ में करीब 150 लोगों ने भाग लिया। दौड़ में 3000 मीटर दौड़ते हुए चढऩा और उतरना था। सभी वर्गों में यह सबसे खतरनाक दौड़ थी। अरुण देहरादून से धनौल्टी तक 74 किलोमीटर की मैराथन भी पूरी कर चुके हैं।
अखिलेश को मेडल
तीसरी दौड़ 42.200 किलोमीटर की थी। इसमें प्रतिभागियों को दौड़कर 2000 मीटर चढऩा और उतरना था। इसमें एयरोस्पेस विभाग के अखिलेश दूसरे स्थान पर रहे, लवीश अरोरा ने भी दौड़ पूरी की। 1000 मीटर की ऊंचाई वाली 21.100 किलोमीटर की हाफ मैराथन में फिजिक्स से पीएचडी कर रहे राहुल भारद्वाज और मैकेनिकल इंजीनियरिंग से बीटेक कर रहे प्रतीक शर्मा ने मैराथन पूरी की।
अब खारदूंग ला में भी होगी दौड़
राहुल ने बताया कि अब वह और अरुण 17 से 20 अगस्त में खारदूंग ला में होने वाली ‘ला अल्ट्रा द हाईÓ मैराथन में हिस्सा लेने जाएंगे। इसमें अरुण नुब्रा वैली से लेह तक कुल 111 किलोमीटर व वह लेह से वरीला पाक तक 55 किलोमीटर की दौड़ में शामिल होंगे। पहाड़ों पर मैराथन दौडऩा केवल फिटनेस के बल पर नहीं हो सकता। यहां फिटनेस के साथ दिमाग भी लगाना पड़ता है।
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