शहर में केवल साइबर फ्रॉड के ही करीब पंाच हजार से ज्यादा मामले लंबित चल रहे हैं। तकनीकी जानकारी के अभाव में हाईटेक साइबर अपराधियो ंतक पुलिस नहीं पहुंच पा रही है पर अब किसी भी मामले में फंसने पर कानपुर पुलिस तत्काल आईआईटी कानपुर की मदद लेगी। इसकी रूपरेखा आईजी ने तैयार की है। क्राइम ब्रांच और साइबर सेल में आ रहे मामलों को छांटा जाएगा। साथ ही कानपुर पुलिस की मदद आईआईटी कानपुर के कंप्यूटर साइंस विभाग के प्रोफेसर रामकृष्ण वर्मा और नितीश श्रीवास्तव करेंगे।
आईजी कानपुर रेंज मोहित अग्रवाल ने सीओ क्राइम चक्रेश मिश्रा को कानपुर में साइबर क्राइम की बड़ी दिक्कतों को हल कराने की जिम्मेदारी दी है। आईजी के मुताबिक जिले के 44 थानों में करीब 10 मामले प्रतिदिन साइबर क्राइम के आ रहे हैं। ऐसे मामलों की लिस्टिंग सीओ क्राइम कराएंगे। फिर उन्हें आईआईटी को दिया जाएगा, जो हैकर और ठग का पता लगाएगा। इसमे कई मामले सोशल साइट और ई-वॉलेट से जुड़े होते हैं। इसके साथ ही कंप्यूटर तकनीक के जरिए हैकर और ठग पैसा उड़ा लेते हैं। ऐसे मामलों के आरोपितों को पकडऩे में पुलिस को अब दिक्कत नहीं होगी।
कानपुर रेंज आईजी मोहित अग्रवाल ने लोगों से अपील की है कि किसी भी तरह का साइबर फ्रॉड होने पर तत्काल यूपीकॉप एप पर शिकायत दर्ज कराएं। यहां शिकायत रजिस्टर होते ही तत्काल जानकारी संबंधित बैंक और आरबीआई तक पहुंच जाती है। इससे पैसा वापस आ जाता है। वॉलेट के जरिए पैसा जाने पर शत प्रतिशत वापसी होती है। यूपी पुलिस ने एक महीने में 47 लोगों के खाते से उडऩे के बाद वापस कराए हैं। उन्होंने बताया कि आईआईटी के कंप्यूटर साइंस विभाग की मदद ली गई है। सीओ क्राइम के माध्यम से हर थानेदार अपने क्षेत्र के बड़े और फंसे हुए साइबर क्राइम के मामलों को हल करा सकते हैं।