आईआईटी ने जो प्लान तैयार किया है उसमे बैराज से जाजमऊ के बीच 16 किलोमीटर तक इस नदी का किनारा खूबसूरत हो जाएगा। किनारों पर पाथ-वे के साथ ही रेलिंग और साइकिल ट्रैक बनाया जाएगा और फुलवारी भी विकसित होगी। लोग यहां आकर सैर करेंगे, जिससे इस क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। इसके लिए आईआईटी की मदद से अर्बन रिवर मैनेजमेंट प्लान बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। आईआईटी, नमामि गंगे और टाटा कंसल्टेंसी के विशेषज्ञों की टीम इस योजना को मूर्त रूप में लाने पर मंथन करेगी। आईआईटी के प्रोफेसर विनोद तारे इस प्लान पर काम करने वाली टीम का नेतृत्व करेंगे।
अर्बन रिवर मैनेजमेंट प्लान के जरिए गंगा ही नहीं बल्कि इसकी सहायक नदियों की सेहत भी सुधारने की कवायद होगी। पहले चरण में साबरमती की तर्ज पर गंगा रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट बनाया जाएगा। इसमें बैराज से जाजमऊ के बीच सभी घाटों को एक दूसरे से कनेक्ट करने की योजना है। बाद में गंगा से सभी छोटी नदियों को जोड़ा जाएगा ताकि इन नदियों का पानी दशकों पूर्व की तरह गंगा में आकर गिरे। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने पॉयलट प्रोजेक्ट के रूप में कानपुर को चुना है।