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कानपुर

गंगा के किनारों को साबरमती के जैसे संवारेगा आईआईटी

बेहद खूबसूरत हो जाएगा बैराज से जाजमऊ के बीच का किनारा पाथ-वे, रेलिंग और साइकिल ट्रैक की ओर आकर्षित होंगे शहरी
 

कानपुरSep 17, 2019 / 01:34 pm

आलोक पाण्डेय

ganga in kanpur

गंगा के किनारों को साबरमती के जैसे संवारेगा आईआईटी

कानपुर। गुजरात की साबरमती नदी को दुनिया की साफ-सुथरी नदियों में गिना जाता है। इस नदी के किनारों की खूबसूरती शहर के लोगों को खींच लाती है। इसी से प्रेरणा लेकर अब कानपुर की गंगा नदी को भी नया रूप दिया जाएगा। नदी के किनारे १६ किलोमीटर का इलाका खूबसूरत बनाया जाएगा, ताकि लोग यहां आकर गंदगी न फैला सकें और न ही गंगा में बहा सकें। यह जिम्मेदारी आईआईटी ने ली है। इससे गंगा में स्वच्छता बढ़ेगी और साथ ही पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
बैराज से जाजमऊ तक होगा कायाकल्प
आईआईटी ने जो प्लान तैयार किया है उसमे बैराज से जाजमऊ के बीच 16 किलोमीटर तक इस नदी का किनारा खूबसूरत हो जाएगा। किनारों पर पाथ-वे के साथ ही रेलिंग और साइकिल ट्रैक बनाया जाएगा और फुलवारी भी विकसित होगी। लोग यहां आकर सैर करेंगे, जिससे इस क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। इसके लिए आईआईटी की मदद से अर्बन रिवर मैनेजमेंट प्लान बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। आईआईटी, नमामि गंगे और टाटा कंसल्टेंसी के विशेषज्ञों की टीम इस योजना को मूर्त रूप में लाने पर मंथन करेगी। आईआईटी के प्रोफेसर विनोद तारे इस प्लान पर काम करने वाली टीम का नेतृत्व करेंगे।
सहायक नदियों की भी बदलेगी सूरत
अर्बन रिवर मैनेजमेंट प्लान के जरिए गंगा ही नहीं बल्कि इसकी सहायक नदियों की सेहत भी सुधारने की कवायद होगी। पहले चरण में साबरमती की तर्ज पर गंगा रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट बनाया जाएगा। इसमें बैराज से जाजमऊ के बीच सभी घाटों को एक दूसरे से कनेक्ट करने की योजना है। बाद में गंगा से सभी छोटी नदियों को जोड़ा जाएगा ताकि इन नदियों का पानी दशकों पूर्व की तरह गंगा में आकर गिरे। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने पॉयलट प्रोजेक्ट के रूप में कानपुर को चुना है।

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