एमओयू के बाद शुरू होगा शोध
जल्द ही आईआईटी और एआईटीएच (अंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर हैंडीकैप्ड) के बीच एमओयू होने जा रहा है। एमओयू होते ही आईआईटी के विशेषज्ञ संस्थान में दिव्यांगों के साथ रहकर पढ़ाई में आने वाली उनकी समस्याएं जानेंगे। फिर शोध कर उन समस्याओं के उपाय वाली तकनीकी विकसित करेंगे। फिलहाल आईआईटी ने दिव्यांगों के लिए जो डिवाइस, एप या अन्य शोध किए हैं, उसका प्रयोग छात्र कर सकेंगे।
जल्द ही आईआईटी और एआईटीएच (अंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर हैंडीकैप्ड) के बीच एमओयू होने जा रहा है। एमओयू होते ही आईआईटी के विशेषज्ञ संस्थान में दिव्यांगों के साथ रहकर पढ़ाई में आने वाली उनकी समस्याएं जानेंगे। फिर शोध कर उन समस्याओं के उपाय वाली तकनीकी विकसित करेंगे। फिलहाल आईआईटी ने दिव्यांगों के लिए जो डिवाइस, एप या अन्य शोध किए हैं, उसका प्रयोग छात्र कर सकेंगे।
तेज गति से काम करने में परेशानी
पढ़ाई के दौरान अनेक समस्याओं के चलते दिव्यांग छात्रों को पूरी जानकारी होने के बावजूद वे तेज गति से काम नहीं कर पाते हैं। एआईटीएच में इंजीनियरिंग के डिग्री और डिप्लोमा कोर्स संचालित होते हैं। डिप्लोमा कोर्स में जहां सिर्फ दिव्यांग पढ़ाई करते हैं वहीं डिग्री कोर्स में उनके साथ सामान्य वर्ग के छात्र-छात्राएं भी प्रवेश लेते हैं। दिव्यांग छात्रों को पढ़ाई के दौरान अनेक तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जैसे कोई छात्र कंप्यूटर का माउस ठीक से नहीं चला पा रहा है तो कोई की-बोर्ड।
पढ़ाई के दौरान अनेक समस्याओं के चलते दिव्यांग छात्रों को पूरी जानकारी होने के बावजूद वे तेज गति से काम नहीं कर पाते हैं। एआईटीएच में इंजीनियरिंग के डिग्री और डिप्लोमा कोर्स संचालित होते हैं। डिप्लोमा कोर्स में जहां सिर्फ दिव्यांग पढ़ाई करते हैं वहीं डिग्री कोर्स में उनके साथ सामान्य वर्ग के छात्र-छात्राएं भी प्रवेश लेते हैं। दिव्यांग छात्रों को पढ़ाई के दौरान अनेक तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जैसे कोई छात्र कंप्यूटर का माउस ठीक से नहीं चला पा रहा है तो कोई की-बोर्ड।
दिव्यांग छात्रों को मिलेगा लाभ
संस्थान की निदेशक प्रो. रचना अस्थाना ने बताया कि दिव्यांगों की इन समस्याओं को लेकर आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रो. सुधीर कामले के साथ चर्चा हुई थी। उन्होंने बताया था कि आईआईटी ने कई तकनीकी विकसित की है, जिसका प्रयोग कर दिव्यांग छात्र आसानी से काम कर सकते हैं। तभी दोनों संस्थानों के बीच वार्ता हुई और तय हुआ कि इस समझौते का लाभ दिव्यांग छात्रों को अधिक मिलेगा। संस्थान के मीडिया प्रभारी मनीष सिंह राजपूत ने बताया कि एमओयू की तिथि अभी तय नहीं है। दोनों संस्थानों के बीच वार्ता पूरी हो चुकी है।
संस्थान की निदेशक प्रो. रचना अस्थाना ने बताया कि दिव्यांगों की इन समस्याओं को लेकर आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रो. सुधीर कामले के साथ चर्चा हुई थी। उन्होंने बताया था कि आईआईटी ने कई तकनीकी विकसित की है, जिसका प्रयोग कर दिव्यांग छात्र आसानी से काम कर सकते हैं। तभी दोनों संस्थानों के बीच वार्ता हुई और तय हुआ कि इस समझौते का लाभ दिव्यांग छात्रों को अधिक मिलेगा। संस्थान के मीडिया प्रभारी मनीष सिंह राजपूत ने बताया कि एमओयू की तिथि अभी तय नहीं है। दोनों संस्थानों के बीच वार्ता पूरी हो चुकी है।