एसआईटी जांच में ये बात सामने आई कि आरोपियों की आर्थिक स्थितियां खराब होने के बावजूद वे महंगे शौक करते थे। लेकिन रुपये कहां से आते थे इसका जवाब कोई नहीं दे सका। जबकि एसआईटी का दावा है कि प्रारंभिक जांच में फंडिंग जैसे सबूत नहीं मिले। आईजी रेंज कानपुर मोहित अग्रवाल ने बताया कि आखिर पैसे कहां से आते थे। इसके लिए और विस्तार से जानकारी जुटाने के लिए आरोपियों के करीबी रिश्तेदारों और दोस्तों के बैंक खाते भी खंगाले जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस बात की संभावनाएं हैं कि किसी और ऑनलाइन वॉलेट का इस्तेमाल फंड को इधर से उधर करने में किया जा रहा हो। अब तक फंडिंग को लेकर कोई जानकारी नहीं मिल सकी है। इस जांच के बाद फंडिंग को लेकर जरूर कुछ तथ्य उजागर होने की संभावनाएं हैं।