scriptनक्षत्रों से दिक्कत है तो सावन में लगाएं राशि के मुताबिक पौधे | Improvement in plantation from constellation | Patrika News

नक्षत्रों से दिक्कत है तो सावन में लगाएं राशि के मुताबिक पौधे

locationकानपुरPublished: Aug 02, 2019 11:13:35 am

प्रख्यात ज्योतिषविद् केए दुबे पदमेश ने सुझाए राहत के रास्ते ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने कही पौधरोपण की बात

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नक्षत्रों से दिक्कत है तो सावन में लगाएं राशि के मुताबिक पौधे

कानपुर। पौधे लगाना पर्यावरण और सेहत के लिए बेहतर है, यह बात तो जगजाहिर है, लेकिन पौधे लगाने से नक्षत्र भी सुधारा जा सकता है। अगर आपका नक्षत्र आपको कष्ट दे रहा है तो एक खास संख्या में विशेष पौधा लगाने से स्थितियों में बदलाव किया जा सकता है। यह कहना है पंडित केए दुबे पद्मेश का। उन्होंने बताया कि स्वयं नारद जी का मत है कि नक्षत्रों के अनुसार पौधे लगाने से शरीर के रोग दूर होते हैं।
हर नक्षत्र का अलग-अलग असर
पंडित जी के अनुसार हर नक्षत्र अलग-अलग व्यक्ति पर अलग-अलग असर डालता है। यदि जन्म के समय नक्षत्र कमजोर रहता है तो उसका असर शरीर पर पड़ता है। कृतिका नक्षत्र का प्रभाव सिर पर, रोहिणी का मस्तिष्क पर, मृगशिरा का भौंह पर, आद्र्रा का प्रभाव आंखों पर, पुनर्वसु का नाक पर, पुष्य का होंठ पर, आश्लेषा का कान पर, मघा का ठोढ़ी पर, पूर्वा फाल्गुनी का दाएं हाथ और उत्तराफाल्गुनी का बाएं हाथ पर प्रभाव पड़ता है।
शरीर के ये अंग भी होते प्रभावित
नक्षत्रों असर शरीर के सभी अंगों पर पड़ता है। हस्त नक्षत्र का असर पेट और लीवर पर पड़ता है। यह नक्षत्र कमजोर होने पर व्यक्ति इनसे जुड़ी बीमारियों से भी परेशान रहता है। जिससे पूरे शरीर पर असर होता है। इसी तरह ज्येष्ठा का आमाशय पर, मूल का कांख पर, पूर्वाषाढ़ा का पीठ पर, उत्तराषाढ़ा का रीढ़ की हड्डी पर असर होता है। श्रवण का कमर पर, धनिष्ठा का गुदा पर, शतभिषा का दाईं जांघ पर, पूर्वाभाद्रपद का बाई जांघ पर, उत्तरा भाद्रपद का पिंडलियों पर, रेवती का घुटने पर, अश्वनी का पांव ऊपरी और भरणी का निचले हिस्से पर असर होता है। इन अंगों से अधिक कष्ट होता है।
ये पौधे करेंगे सुधार
नक्षत्र कमजोर होने पर निश्चित संख्या में ये पौधे लगाने से सुधार होता है। अश्विनी नक्षत्र वाले १३ बांस, भरणी वाले ६ फालसा, कृतिका वाले १० गूलर, रोहिणी वाले ११ जामुन, मृग वाले ९ खैर, आद्र्रा वाले १८, पुनर्वसु नक्षत्र वाले १६ बांस, पुष्य वाले १९ पीपल, आश्लेषा वाले ५ नागकेसर, मघा वाले १३ बरगद, पूर्वाफाल्गुनी वाले ६ ढाक, उत्तराफाल्गुनी वाले १० पाकड़, हस्त नक्षत्र में ११ अरीठा, चित्रा में ९ बेल, स्वाति में १८ अर्जुन, विशाखा में ८ कटाय, अनुराधा में ८ मौलसरी, ज्येष्ठा में ७ देवदारू, मूल में १३ रालका, पूर्वाषाढ़ा में ६ जामुन, उत्तराषाढ़ा में ४ कटहल, श्रवण में २० आक, धनेष्ठा में ६ इटामासी, शतभिषा में १८ कदंब, पूर्वभाद्रपद में १६ आम, उत्तराभद्रपद में ९ नीम और रेवती नक्षत्र वालों को ५ पौधे महुआ के लगाने चाहिए।
भगवान श्रीकृष्ण ने दी थी सलाह
भगवान श्रीकृष्ण ने विश्वकर्मा से कहा कि द्वारिका को समृद्धशादी बनाने के लिए नारियल के वृक्ष लगाएं। इससे वहां रहने वाले लोग धनी हो जाएंगे। इसके अलावा पूर्व और उत्तर दिशा में अशोक और कदंब के पौधे लगाने चाहिए। इसका उल्लेख ब्रह्मवैवर्तपुराण के अध्याय १०३ में किया गया है।
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