पिछले दिनों जूही डब्ल्यू-2 व किदवई नगर के चार प्लॉट की फर्जी रजिस्ट्री में केडीए के 5 बाबू फंसे हैं. महेश गुप्ता, केके गुप्ता, प्रेम सिंह राठौर और कमलेश साहू है. एक अन्य बाबू की मौत हो चुकी है. इससे केडीए के बाबुओं में दहशत मची हुई है. विभागीय कार्रवाई के अलावा पुलिस ने इन पर शिकंजा कस रखा है. शायद यही वजह है कि प्रॉपर्टी सेक्शन के बाबुओं ने नया फंडा अपना लिया है. वह फाइलों पर अलग-अलग सिग्नेचर कर रहे हैं. जोन-2 सेल के क्लर्क सीपी गुप्ता आदि के मामले सामने आने पर केडीए ऑफिसर अलर्ट हो गए. उन्होंने इस समस्या के हल के लिए रास्ते तलाश लिए हैं.
केडीए के रिकार्ड से इश्यू कराई जानी वाली फाइलों की व्यवस्था कुछ बुक लाइब्रेरी की तरह होगी. केवल 15 दिन के लिए एक फाइल मिलेगी. इससे अधिक समय लगने पर संबंधित कर्मचारी को फाइल री-इश्यू करानी होगी. इसके साथ फाइल लेते समय उसे कम्प्यूटर में एंट्री के साथ बॉयोमैट्रिक पंचिंग भी करनी होगी. गड़बड़ी रोकने के लिए बुक लाइब्रेरी की तरह निश्चित संख्या में फाइल मिल सकेगी. इस बारे में केडीए वीसी ने बताया कि सॉफ्टवेयर तैयार कर लिया गया है. एक महीने के भीतर व्यवस्थाएं लागू कर दी जाएंगी.
इस बारे में केडीए वीसी किंजल सिंह बताते हैं कि बाबुओं के अलग-अलग साइन करने की समस्या के हल के इंतजाम किए जा रहे हैं. प्रमाणपत्र के साथ नमूना हस्ताक्षर लिए जा रहे हैं. उन्हें सिग्नेचर के अलावा नाम व हस्ताक्षर युक्त मोहर इस्तेमाल करनी होगी. इससे गड़बड़ी पर रोक लगेगी.