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कानपुर मेट्रो में ब्रेक लगने पर नहीं होगी ऊर्जा बर्बाद, इस विशेष तकनीक से बनेगी बिजली, जो दूसरी ट्रेन में आएगी काम

locationकानपुरPublished: Jun 05, 2021 08:16:43 pm

Submitted by:

Arvind Kumar Verma

-कानपुर मेट्रो में होगी ऊर्जा संरक्षित करने की विशेष तकनीक,-मेट्रो कोच और लिफ्ट से निकलने वाली ऊर्जा का होगा उपयोग,-15 से 100 किमी की रफ्तार से दौड़ने वाली ट्रेनों में काम करता ये सिस्टम,

कानपुर मेट्रो में ब्रेक लगने पर नहीं होगी ऊर्जा बर्बाद, इस विशेष तकनीक से बनेगी बिजली, जो दूसरी ट्रेन में आएगी काम

कानपुर मेट्रो में ब्रेक लगने पर नहीं होगी ऊर्जा बर्बाद, इस विशेष तकनीक से बनेगी बिजली, जो दूसरी ट्रेन में आएगी काम

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
कानपुर. यूपी के कानपुर शहर में जल्द मेट्रो सेवा (Metro Service In Kanpur) शुरू होगी। लखनऊ की तरह ही कानपुर की मेट्रो में ब्रेक लगने एवं लिफ्ट (Metro Break And Lift) रुकने से निकलने वाली ऊर्जा का मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (UPMRC) इस्तेमाल करेगा। अधिकांशतः किसी भी वाहन के ब्रेक लगने पर ऊर्जा नष्ट होती है, लेकिन कानपुर मेट्रो ट्रेन (Metro Train) में ब्रेक लगते ही बिजली का बनना शुरू हो जाएगा और इससे कुल बिजली की खपत का 45 फीसद उपयोग किया जाएगा। इस विशेष तकनीक का इस्तेमाल कानपुर के अतिरिक्त आने वाले समय में आगरा में भी किया जाएगा। इस तकनीक को रीजनरेटिव ब्रेकिंग (Regenerative Breaking System) कहा जाता है।
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मेट्रो कोच और स्टेशन की लिफ्ट के रुकने पर निकलने वाली ऊर्जा को मेट्रो की इलेक्ट्रिक सप्लाई में दोबारा भेजने के लिए कोच के पहियों में उपकरण लगाए जा रहे हैं। जैसे ही मेट्रो या लिफ्ट रुकेगी तो निकलने वाली ऊर्जा बिजली के रूप में यह उपकरण वापस इलेक्ट्रिक लाइन में भेज देंगे। जिसका उपयोग दूसरी ट्रेनों के लिए होगा। बताया गया कि पटरियों के बगल में चलने वाली थर्ड रेल से मेट्रो को करंट मिलेगा और इससे ही मेट्रो अपने द्वारा उत्पन्न ऊर्जा को वापस भेजेगी। कानपुर मेट्रो में दोनो कॉरिडोर में 29 स्टेशन होंगे। जिसमें कुल 39 ट्रेनों को चलाने की योजना है। इन सभी ट्रेनों में उपकरण लगाने को कहा गया है।
मेट्रो के इन 29 स्टेशनों पर 58 लिफ्ट होंगी। हालांकि जिन रूट का टेंडर नही हुआ है, उनमें इनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है। इन लिफ्ट में रीजनरेटिव सिस्टम लगाया जा रहा है। इस सिस्टम के अंतर्गत ब्रेक लगने पर डीसी ट्रैक्शन मोटर जेनरेटर की तरह काम करने लगता है। यह सिस्टम 15 से 100 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ने वाली ट्रेन में काम करता है। इंजन की गति के मुताबिक हर बार ब्रेक लगने पर 30 से 50 किलोवाट तक ऊर्जा निकलती है। इस प्रणाली से यह ऊर्जा वापस थर्ड रेल में चली जाएगी।
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