यह भी पढें: ऑक्सीजन कमी से हुई मौतों से दुखी होकर कानपुर की बेटी ने अमेरिका से भेजे 4 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मेट्रो कोच और स्टेशन की लिफ्ट के रुकने पर निकलने वाली ऊर्जा को मेट्रो की इलेक्ट्रिक सप्लाई में दोबारा भेजने के लिए कोच के पहियों में उपकरण लगाए जा रहे हैं। जैसे ही मेट्रो या लिफ्ट रुकेगी तो निकलने वाली ऊर्जा बिजली के रूप में यह उपकरण वापस इलेक्ट्रिक लाइन में भेज देंगे। जिसका उपयोग दूसरी ट्रेनों के लिए होगा। बताया गया कि पटरियों के बगल में चलने वाली थर्ड रेल से मेट्रो को करंट मिलेगा और इससे ही मेट्रो अपने द्वारा उत्पन्न ऊर्जा को वापस भेजेगी। कानपुर मेट्रो में दोनो कॉरिडोर में 29 स्टेशन होंगे। जिसमें कुल 39 ट्रेनों को चलाने की योजना है। इन सभी ट्रेनों में उपकरण लगाने को कहा गया है।
मेट्रो के इन 29 स्टेशनों पर 58 लिफ्ट होंगी। हालांकि जिन रूट का टेंडर नही हुआ है, उनमें इनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है। इन लिफ्ट में रीजनरेटिव सिस्टम लगाया जा रहा है। इस सिस्टम के अंतर्गत ब्रेक लगने पर डीसी ट्रैक्शन मोटर जेनरेटर की तरह काम करने लगता है। यह सिस्टम 15 से 100 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ने वाली ट्रेन में काम करता है। इंजन की गति के मुताबिक हर बार ब्रेक लगने पर 30 से 50 किलोवाट तक ऊर्जा निकलती है। इस प्रणाली से यह ऊर्जा वापस थर्ड रेल में चली जाएगी।