कानपुर में भले ही बारिश की रफ्तार बहुत धीमी हो लेकिन गंगा में पानी की कमी नहीं है. बरसात के दिनों में गंगा में पानी बढ़ने के साथ-साथ गंगा घाटों पर होने वाले हादसे भी बढ़ जाते हैं. अब गुजरे रविवार को ही देख लीजिए न, गंगा बैराज पर 6 किशोरों के डूबने के बाद एक बार फिर कानपुर के 18 गंगा घाटों पर सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं.
रविवार शाम गंगा बैराज में हुई घटना ने कई घरों के चिराग को बुझा दिया. ऐसे में घाटों पर सुरक्षा की स्थिति की हकीकत जानना चाहें तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आते हैं. 18 घाटों की सुरक्षा के लिए सिर्फ तीन जवानों की तैनाती की गई है.
जुलाई, अगस्त और सितंबर के महीने में गंगा में पानी कई गुना बढ़ जाता है. ऐसे में यहां सुरक्षा के इंतजाम बहुत जरूरी हैं, लेकिन जिला प्रशासन और पुलिस की अनदेखी की वजह से घाटों में सुरक्षा के नाम पर मजाक किया जा रहा है. पूर्व पुलिस अधिकारी वीके सिंह ने बताया कि जब गंगा में पानी ज्यादा होता है तो जल पुलिस की तैनाती के साथ स्थानीय पुलिस को पेट्रोलिंग भी बढ़ा देनी चाहिए, ताकि घाटों पर सिर्फ घूमने के मकसद से आने वाले लोगों की तफरी पर लगाम लगाई जा सके.