नेजल वैक्सीन ट्रायल के चीफ इन्वेस्टीगेटर प्रोफेसर जेएस कुशवाहा ने बताया कि डोज देने के बाद इन वॉलिंटियरों को 28 दिन के बाद बुलाया गया है। तब रक्त और लार का सैंपल लिया जाएगा। इसके बाद उन्हें दूसरी डोज दी जाएगी। उन्होंने बताया कि इसके ट्रायल में दो बार नाक से वैक्सीन की डोज दी जानी है। पहली और दूसरी दोनो डोज में वॉलिंटियर के नाक में कुल 16 बूंदें वैक्सीन की डाली जाएंगी।
नेजल वैक्सीन होने की वजह से वॉलिंटियर के रक्त के साथ लार का भी सैंपल लिया जाएगा। इसमें कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडीज देखी जाएगी। उन्होंने बताया कि अधिकांशतः लोगों में कोरोना का संक्रमण नाक से होता है। वायरल गले में आता है और फिर फेफड़ों में जाता है। नाक में वैक्सीन डालने से वायरस गले में नहीं उतर पाएगा। आंख और मुंह से संक्रमण होने पर भी वायरस गले से होकर ही फेफड़ों में जाता है। दावा किया कि नेजल वैक्सीन कारगर साबित होगी।