इसके लिए आवश्यक जानकारी 1-अक्सर देखा जाता है कि इनकम टैक्स बचाने के लिए लोग अपने परिवार वालों जैसे पत्नी, वयस्क बच्चों के नाम से निवेश करते हैं। इन स्थितियों में क्लबिंग आफ इनकम का नियम लगता है और इस तरीके से लोग टैक्स नहीं बचा सकते हैं। इसके साथ ही यदि ऐसे लोग बिना किसी उचित कारण के अपनी आमदनी को दूसरे की आमदनी दिखाते हैं तो आयकर विभाग कार्रवाई कर सकता है।
2-कोई करदाता अपनी चल या अचल संपत्ति बिना उचित प्रतिफल के अपनी पत्नी को हस्तांतरित करता है तो ऐसी स्थिति में उस संपत्ति से होने वाली आय उसकी पत्नी की आय न मानते हुए उसके पति की आय में जोड़कर इनकम टैक्स की गणना की जाएगी। इसके बाद उस आय का आयकर पति को ही देना होगा।
3-यदि कोई व्यक्ति किसी फर्म से से करता है और उसकी पत्नी को उस फर्म से किसी तरह का लाभ जैसे वेतन, कमीशन, फीस प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से नगद या किसी अन्य प्रकार से मिल रहा है तो यह आय उसके पति की आय में जोड़ी जाएगी। लेकिन यह प्रावधान वहां लागू नहीं होगा जहां जीवन साथी के पास कोई तकनीकी या पेशेवर योग्यता हो और इसी आधार पर इनकम प्राप्त होती है। ऐसी स्थिति में वह इनकम उसके पति की आय में नहीं बल्कि पत्नी की आय मानी जाती है।
4-अवयस्क बच्चे अपनी योग्यता, अनुभव से कोई आय अर्जित करते हैं तो यह आय उनके माता-पिता की आय में नहीं जोड़ी जाएगी।