अभी तक सेना में इस्तेमाल होने वाले स्नाइपर और असॉल्ट राइफल पूरी तरह से देसी नहीं हैं। या तो तकनीक विदेश से ली जा रही है या फिर पूरी मैन्युफैक्चरिंग ही बाहर से करवाई जा रही है। मगर पहली बार बेंगलुरु की एसएसएस डिफेंस कंपनी ने मेक इन इंडिया, डिजाइन इन इंडिया और डिवेलप इन इंडिया के फॉर्म्यूले के तहत इन राइफलों को तैयार कराया है। कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर सतीश मचानी और सीईओ विवेक कृष्णन बताते हैं कि एसएसएस डिफेंस पहली ऐसी कंपनी है जो कई वर्षों से विदेशी कंपनियों को हथियारों में इस्तेमाल होने वाली स्प्रिंग सप्लाई करती आ रही है। भारत में किसी कंपनी ने पहली बार कार्बाइन व असॉल्ट राइफलों की सीरीज तैयार की है।
कंपनी के विशेषज्ञ अभिजीत ने बताया कि कंपनी ने 338 सेबर स्नाइपर राइफल की दो रेंज तैयार की हैं। 338 सेबर मार्क-1 को अपडेट कर मार्क-2 बनाया गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, दोनों स्नाइपर्स के आकार में फर्क है, लेकिन ये 1500 से 2000 मीटर तक अचूक निशाना लगा सकती हैं। डिजिटल दूरबीन से ये रात में भी कारगर हैं। कंपनी ने असॉल्ट राइफल 7.62&51 वाइपर और 7.42&51 वाइपर भी तैयार की है। इनकी रेंज एक हजार मीटर तक है। वहीं, राइफल पी72 आरईसीआर 300 मीटर और पी72 कार्बाइन 200 से 250 मीटर तक अचूक निशाना लगा सकती हैं।
देश में बनी होने से इनकी कीमत भी विदेशी राइफलों से कम है। कंपनी ने इनकी गोलियां व मैगजीन भी तैयार की हैं। यही वजह है कि एक्सपो में पहले ही दिन छह अन्य देशों के प्रतिनिधियों ने भी अपनी सेना में इस स्नाइपर शामिल करने की तैयारी शुरू कर दी है। कंपनी के विशेषज्ञों के मुताबिक, एक्सपो के पहले दिन बुधवार को ताइवान समेत छह देशों के प्रतिनिधियों ने मेड इन इंडिया राइफलों को लेकर बैठक की। अगली बैठक गुरुवार को होनी है। 12 अन्य डेलिगेट्स ने भी संपर्क किया है। जिन देशों के प्रतिनिधिमंडल से बैठक निर्धारित है, उनके साथ एमओयू भी साइन होने की संभावना है।