कानपुर प्रोविंशियल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने आज योगी शासन में मंत्री राकेश सचान से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने अपनी मांगों को रखा। उद्यमियों का कहना था कि कानपुर देहात जिले का नाम सुनते ही पिछड़ेपन का एहसास होता है। उन्होंने कहा कि यहां पर अधिकारी भी यहां आने से घबराते हैं। कानपुर देहात अपने आप में पिछड़ेपन का एहसास कराता है। उद्यमियों को “कानपुर देहात” के ‘देहात’ शब्द से आपत्ति है। उन्होंने इसे ग्रेटर के नाम से रखने की मांग की।
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कानपुर जिले का 1981 में विभाजन हुआ था। जब कानपुर जिले को कानपुर नगर और कानपुर देहात में बांटा गया था। जिसके बाद से “कानपुर देहात” का मुख्यालय “अकबरपुर के माती” में बनाया गया। 1 जुलाई 2010 को कानपुर देहात का नाम “रमाबाई नगर” रखा गया था। लेकिन 2012 को इसका नाम एक बार फिर “कानपुर देहात” कर दिया गया। एक बार फिर कानपुर देहात के नाम को बदलने की की आवाज उठने लगी है। इस बार उद्यमियों की तरफ से यह आवाज उठाई गई है। इस मामले में योगी शासन के मंत्री राकेश सचान ने कहा कि वह इस प्रकरण को मुख्यमंत्री के सामने उठाएंगे। ज्ञापन देने वालों में प्रांतीय अध्यक्ष मनोज बंका, मिथिलेश गुप्ता, निखिल कपूर, सूर्यभान पटेल, बृजेश अवस्थी, प्रवीण शर्मा आदि शामिल थे।