scriptमासूमों के फेफड़े खराब कर रही शहर की दूषित हवा | Influence of lungs of children from contaminated air | Patrika News

मासूमों के फेफड़े खराब कर रही शहर की दूषित हवा

locationकानपुरPublished: Feb 26, 2019 11:43:19 am

थोड़ा सा खेलने पर ही थक जाते हैं छोटे बच्चेस्कूल का बस्ता उठाने में भी हॉफने लगते

Air pollution in kanpur

मासूमों के फेफड़े खराब कर रही शहर की दूषित हवा

कानपुर। शहर की हवा सांस लेने लायक नहीं है, यह बात तो पहले ही उजागर हो चुकी है, लेकिन यही हवा अब छोटे बच्चों के फेफड़े खराब कर रही है। जिसके चलते बच्चे जरा सा खेलने पर ही हॉफने लगे हैं। बच्चों के फेफड़ों पर हवा के दूषित प्रभाव की बात को मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग ने उजागर किया है।
ऑक्सीजन लेवल पर असर
शहर की हवा में घुले प्रदूषण का असर बच्चों के शरीर पर ज्यादा पड़ रहा है। जिन बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता दूसरे बच्चों से कम है उनमें यह स्थिति ज्यादा गंभीर है। शरीर में ऑक्सीजन लेवल प्रभावित होने से प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है। जिसके चलते बच्चे जल्दी बीमार हो रहे हैं। सर्दी, जुकाम और खांसी से पीडि़त बच्चों पर प्रदूषित हवा का असर दिख रहा है।
दवाइयां हो रही बेअसर
हवा के प्रदूषण के चलते बीमार हो रहे बच्चों पर दवाइयों का भी असर जल्दी नहीं हो रहा है। उनमें निमोनिया और अस्थमा जैसी बीमारियों के लक्षण नजर आने लगे हैं। बच्चे जरा सा खेलने पर ही हॉफने लगते हैं। यहां तक कि स्कूल से घर तक बस्ता लादकर लाने में ही उनकी हालत खराब होने लगती है।
प्रभावित हो रही ग्रोथ
शहर के बच्चों पर कराए गए सर्वे में प्रदूषण की गंभीरता उजागर हुई है। छह से १६ साल तक के ८०० बच्चों पर हुए सर्वे में पता चला है कि प्रदूषण के चलते बच्चे जल्दी-जल्दी बीमार पड़ रहे हैं। चालीस फीसदी बच्चे तो ऐसे थे जो घर की दूसरी या तीसरी मंजिल तक जाने में ही हॉफ जाते हैं।
खान-पान का असर
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राज तिलक ने बताया कि माता-पिता के साथ स्कूलों को भी माहौल और खान-पान के प्रति सतर्क होना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि बच्चों का जल्दी थक जाना, बार-बार बीमार पडऩा और बीमारी जल्दी ठीक न होना सामान्य बात नहीं है।
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