शहर की हवा में घुले प्रदूषण का असर बच्चों के शरीर पर ज्यादा पड़ रहा है। जिन बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता दूसरे बच्चों से कम है उनमें यह स्थिति ज्यादा गंभीर है। शरीर में ऑक्सीजन लेवल प्रभावित होने से प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है। जिसके चलते बच्चे जल्दी बीमार हो रहे हैं। सर्दी, जुकाम और खांसी से पीडि़त बच्चों पर प्रदूषित हवा का असर दिख रहा है।
हवा के प्रदूषण के चलते बीमार हो रहे बच्चों पर दवाइयों का भी असर जल्दी नहीं हो रहा है। उनमें निमोनिया और अस्थमा जैसी बीमारियों के लक्षण नजर आने लगे हैं। बच्चे जरा सा खेलने पर ही हॉफने लगते हैं। यहां तक कि स्कूल से घर तक बस्ता लादकर लाने में ही उनकी हालत खराब होने लगती है।
शहर के बच्चों पर कराए गए सर्वे में प्रदूषण की गंभीरता उजागर हुई है। छह से १६ साल तक के ८०० बच्चों पर हुए सर्वे में पता चला है कि प्रदूषण के चलते बच्चे जल्दी-जल्दी बीमार पड़ रहे हैं। चालीस फीसदी बच्चे तो ऐसे थे जो घर की दूसरी या तीसरी मंजिल तक जाने में ही हॉफ जाते हैं।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राज तिलक ने बताया कि माता-पिता के साथ स्कूलों को भी माहौल और खान-पान के प्रति सतर्क होना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि बच्चों का जल्दी थक जाना, बार-बार बीमार पडऩा और बीमारी जल्दी ठीक न होना सामान्य बात नहीं है।