यह घटना बुधवार सुबह लगभग सात बजे तब घटी, जब प्लेटफॉर्म नंबर तीन पर प्रवेश करते ही 64201 एलसी के दो डिब्बे पटरी से उतर गए थे। इसकी वजह से काफी देर तक ट्रैक बाधित रहा। रेलवे के अफसरों ने दबी जुबान से बताया कि बेपटरी दो कोचों में से एक की ट्रॉली में खामी थी। हालांकि कैंची बदलने की बात भी कही गई थी पर कानपुर सेंट्रल पर रूट रिले इंटरलॉकिंग सिस्टम है। इस कारण ट्रैक की कैंची प्वाइंट तब तक बदल नहीं सकता है, जब तक पूरी ट्रेन उस प्वाइंट को पार नहीं कर जाती है। इस बात को सिरे से खारिज कर दिया गया।
कानपुर सेंट्रल पर दुर्घटनाग्रस्त हुए एलसी के दोनों कोच 2014 में ही बने थे। जानकारों का कहना है कि एक कोच की मियाद कम से कम बीस साल होती है। मगर ये कोच पंाच साल में ही फेल हो गए। इसका मतलब कोच खराब थे और इसके निर्माण में खामी थी। हालांकि मेमू बेपटरी होने में एक भी यात्री चुटहिल नहीं हुआ था। कैंची प्वाइंट पर घटना होने के चंद घंटे बाद ही दिल्ली-हावड़ा रूट क्लीयर हो गया। वंदेभारत एक्सप्रेस जैसी दिल्ली रूट की सुपरफास्ट ट्रेन 15-20 मिनट विलंब से गुजार दी गई थी।