कौन हैं आईपीएस अरूण
असीम कुमार अरुण वर्ष 1994 बैच के आईपीएस अफसर हैं। पुलिस महकमें में बेहद तेज-तर्रार पुलिस अफसरों में गिने जाने वाले आईपीएस असीम कुमार अरुण का जन्म 3 अक्टूबर 1980 को बदायूं जनपद में हुआ। असीम अरुण के पिता श्रीराम अरुण भी भारतीय पुलिस सेवा में आईपीएस ऑफिसर रह चुके हैं। वहीं मां शशि अरुण जानी-मानी लेखिका और समाजसेविका हैं। आईपीएस असीम अरुण की प्ररंभिक शिक्षा सेंट फ्रांसिस स्कूल, लखनऊ से हुई है। असीम अरुण ने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से बीएससी की डिग्री हासिल की है।
बिना नुकसान आतंकी को किया ढेर
कानपुर के केडीए कॉलोनी निवासी आईएसआईएस आतंकी सैफुल्लाह बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए लखनऊ में रूका हुआ है। यूपी एटीएस की बागडोर संभाल रहे आईपीएस असीम अरुण को जब इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने एटीएस कमांडो के साथ घर को घेर लिया। आईपीएस असीम अरुण ने आतंकी को सरेंडर कराए जाने का प्रयास किया। उन्होंने सैफुउल्ला के पिता से बात कराई और ऑपरेशन को सफलता पूर्वक खत्म करने के लिए उसे बातों पर उलझाए रखा। नतीजा रहा कि ये शूटआउट बिना किसी नुकसान के अपने अंजाम तक पहुंच पाया।
कौन था आतंकी सैफुउल्ला
चकेरी के जाजमऊ निवासी सरताज के तीन बेटों और एक बेटी में सैफुउल्ला सबसे छोटा था। सैफुउल्ला बीकॉम की पढ़ाई बीच में छोड़ कर घर में रहने लगा था। इसी बीच उसकी मुलाकात केडीए कॉलोनी गौस मोहम्मद से हुई और सैफुउल्ला आईएसआईएस में शामिल हो गया। आतंकी ने विष्णुपरी के एक टीचर की निर्मम हत्या कर दी और फिर लखनऊ में आतंकी हमले की नियत से वहां पर रह रहा था। दो साल पहले एटीएस प्रमुख असीम अरुण ने लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके में एटीएस कमांडों के साथ घेर लिया। एटीएस के इस ऑपरेशन में आईएस का एक आतंकी सैफुल्ला ढेर कर दिया गया था। एक आतंकी को मारने में एटीएस को करीब 11 घंटे तक मशक्कत करनी पड़ी। इस ऑपरेशन के तार मध्यप्रदेश के ट्रेन बम धमाके से जुड़े थे।
पीएम की संभाल चुके हैं सुरक्षा
असीम अरुण की काबलियत का ही नतीजा था कि उन्हें देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सुरक्षा दल में शामिल किया गया. वे एसपीजी में प्रधानमंत्री के अंदरूनी घेरे की सुरक्षा यानी क्लोज़ प्रोटेक्शन टीम का नेतृत्व कर चुके हैं। उनके शानदार प्रदर्शन को देखते हुए ही उन्हें एनएसजी मानेसर सहित सीबीआई की साइबर अपराध विवेचना अकादमी गाजियाबाद में भी सेवाएं देने का मौका मिला। वे एक बेहतर कमांडो के तौर पर भी जाने जाते हैं। इतना ही नहीं साल 2002-03 में असीम अरुण को संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से कोसोवो में पुलिस कार्य करने के लिए भेजा जा चुका है।
माफियाओं की तोड़ी रीढ़
आईपीएस असीम कुमार अरुण के साथ काम कर चुके एक इंस्पेक्टर ने बताया कि वो अपने कार्य को पूरी इमानदारी से निभाते हैं। सरकार किसी की भी हो, पर कानून तोड़ने वालों को सजा दिलावाते हैं। इंस्पेक्टर ने बताया कि आईपीएस अरूण ने अपनी नौकरी के दौरान खुद अकेले कई एनकाउंटरों को अंजाम दिया। पूर्वान्चल में माफिया की रीढ़ तोड़ने में इनका अहम योगदान रहा है। बताते हैं, अरूण एनएसजी के पुलिस कमांडो कोर्स मानेसर सहित सीबीआई की साइबर अपराध विवेचना अकादमी गाजियाबाद में भी अपनी सेवा दे चुके हैं।
स्वाट टीम का किया गठन
यूपी पुलिस की डायल 100 सेवा शुरू किए जाने में भी आईपीएस अरूण का अहम योगदान रहा है। इसके अलावा स्वॉट टीम का गठन भी इन्हीं ने किया था। 2009 में उन्होंने अलीगढ़ जनपद में तैनाती के वक्त भारत की पहली जनपद स्तरीय स्पेशल वेपन्स एंड टेक्टिक्स टीम यानी स्वॉट का गठन किया। स्वॉट टीम आतंकी और जोखिमपूर्ण मिशन को अंजाम देने वाली खास हथियारों से लैस विशेष कमांडो टीम है। यही नहीं आगरा में डीआईजी के पद पर रहते हुए असीम अरुण ने इस टीम को विस्तार भी दिया और वहां भी स्वॉट टीम का गठन किया।