आरुषि की मां का वर्ष 2019 में निधन हो गया था। उसके पिता ने छोटी सी चक्की चलाकर आरुषि को इस मुकाम तक पहुंचाया। इसरो के युविका कार्यक्रम में देशभर से 368 बच्चों की पहली लिस्ट जारी की गई है। इसमें से 113 बच्चों का शैक्षिक प्रमाणपत्रों के सत्यापन के बाद अंतिम रूप से चयन होना है। जिन बच्चों का चयन होगा वह 11 से 22 मई तक इसरो में रहकर यहां के शीर्ष वैज्ञानिकों से मिलेंगे। व्याख्यान में भाग लेंगे। लैब देखेंगे। स्वयं भी कुछ करके दिखाएंगे।
आरुषि जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा छह से पढ़ रही है। आठवीं में उसे 96 फीसदी अंक मिले थे और वह टॉपर थी। इसरो की इस सूची में नाम आने से पहले वह मानक इंस्पायर अवार्ड, विज्ञान मंथन और एनएसएफ में भी चयनित हो चुकी है। आरुषि कहती है कि वह वैज्ञानिक बनेगी और फिर आईएएस। यह उसका सपना है। जितने भी वैज्ञानिक आयोजन होते हैं, उसमें वह जरूर भाग लेती है। अपने सपने को पूरा करने के लिए हर प्रयास करेगी।
आरुषि की माता देवकी पाल के निधन के बाद पिता राजकुमार पाल और छोटी बहन आयुषी है जो कक्षा चार में पढ़ रही है। पिता जी की एक छोटी सी चक्की है। पिता जी हमेशा हमें पढऩे के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं। विद्यालय के प्रधानाचार्य एसके मिश्रा बताते हैं कि आरुषि केवल विज्ञान के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि खेलों में भी सबसे आगे रहती है। उसने रोप स्किपिंग में नेशनल जीता। ताइक्वांडो की संकुल चैंपियन है। स्काउट, जीके, कल्चरल इवेंट्स में भी उसे खूब मेडल मिलते हैं।