scriptइसे कहते हैं इंसानियत, जब एक अनाथ लड़की का इस तरह किया गया उद्धार, लोग जमकर कर रहे तारीफ | It is called humanity, when orphan girl is saved, people are praising | Patrika News

इसे कहते हैं इंसानियत, जब एक अनाथ लड़की का इस तरह किया गया उद्धार, लोग जमकर कर रहे तारीफ

locationकानपुरPublished: Jun 27, 2020 11:45:32 pm

Submitted by:

Arvind Kumar Verma

उनका कहना था कि हमने स्वयं कन्यादान सपना का किया है

इसे कहते हैं इंसानियत, जब एक अनाथ लड़की का इस तरह किया गया उद्धार, लोग जमकर कर रहे तारीफ

इसे कहते हैं इंसानियत, जब एक अनाथ लड़की का इस तरह किया गया उद्धार, लोग जमकर कर रहे तारीफ

कानपुर देहात-कहते है जिसका कोई नही उसका मालिक भगवान होता है। लेकिन भगवान को किसी ने देखा नही फिर भी उन्ही की प्रेरणा से किसी गरीब अनाथ मां की बेटी की शादी की पूरी जिम्मेदारी सभी रश्म अदायगी की कोई निभा दे तो उसे आज के समय मे एक फरिश्ता ही कहा जायेगा। ऐसा ही नेकी का कार्य कानपुर देहात के रसूलाबाद क्षेत्र के ग्राम बिल्हा में समाजसेवी शिव जी दुबे ने किया। जिनकी जमकर जगह चर्चाएं हो रही है।
पूरी दास्तां कुछ इस प्रकार है कि रसूलाबाद के ग्राम बिल्हा में आर्थिक विपन्नता के चलते आज से 10 वर्ष पूर्व कल्लू शर्मा नामक व्यक्ति ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। मृतक की तीन पुत्रियां व एक पुत्र था। जिनकी जिम्मेदारी का भार मृतक की पत्नी मालती पर आ गयी। मालती ने घोर मुसीबत उठाकर अपने बच्चों का पालन आर्थिक विपन्नता व गांव के चंद भले लोगो की थोड़ी बहुत सहायता से कर लिया।धीरे-धीरे बड़ी लड़की सपना शादी योग्य हो गयी तो एक मां के सामने सपना के हांथ पीले करने की बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो गयी तो उसने गांव के लोगो व परिवार रिश्तेदारों से सहयोग की बात चलाई। हताश निराश एक मां की मार्मिक पीड़ा से द्रवित होकर समाजसेवी शिवजी दुबे ने सपना की शादी में तन मन धन से मदद करने बीड़ा उठाया।
बीती रात बिल्हा ग्राम में जब यह बारात आई तो देखने वालों ने इस बारात में बारातियों के स्वागत सत्कार से लेकर विदाई की रश्म तक में शिवजी दुबे व उनके साथियों के सराहनीय सहयोग की सराहना की। समाजसेवी शिवजी दुबे ने बताया कि सपना का विवाह उसकी मां की पसन्द के लड़के सुनील कुमार के साथ कराई गई। उनका कहना था कि हमने स्वयं कन्यादान सपना का किया है तो आज से उसके हर सुख-दुख में अपने पूरे जीवनकाल में जिस हैसियत में रहा मदद करता रहूंगा। बेटी की शादी धूमधाम से हो जाने पर एक अनाथ मां के चेहरे पर जो खुशियों के भाव थे, उन खुशियों का वर्णन करना असम्भव सा लग रहा है।
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