जन्माष्टमी पर्व का इस मंदिर में विशेष महत्व है। सुन्दर झांकियों सहित रात्रिबेला में कृष्णलीला सहित संगीत कार्यक्रम होता है, जिससे क्षेत्र के लोगों का हुजूम उमड़ा है। लेकिन इस बार वैश्विक महामारी के चलते जन्माष्टमी का रंग फीका होगा। मंदिर के बारे में स्थानीय बुजुर्ग बताते हैं कि जन्माष्टमी पर एक पखवाड़े तक कार्यक्रम चलते हैं। दूर दराज से लोग भगवान के दर्शन करने मंदिर आते हैं। बताया कि रामनारायण के बाद उनके पुत्र लक्ष्मीनारायण मंदिर की देखरेख करते रहे और अब स्थानीय निवासी सुब्रत गुप्ता देखभाल करते हैं।
इस मंदिर की विशेषता है कि मंदिर के अंदर मूर्तियों की फोटो लेने की सख्त मनाही है। लोग मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन मोबाइल या कैमरे का इस्तेमाल फोटो खींचने के लिए नहीं कर सकते हैं। बताते हैं कि यहां भगवान कृष्ण के वामन अवतार को विशेष महत्व दिया जाता है। इसलिए वामन द्वादशी को विशेष कार्यक्रम होता है, जिसमें भगवान कृष्ण (वामन अवतार) का डोला उठता है। जिसके आकर्षक छवि के साथ राम तलैया में जाकर वे जल विहार करते हैं। इसे जल विहार उत्सव कहा जाता है। यह कार्यक्रम तीन दिन चलता है। अनंत चतुर्दशी को उसका समापन होता है।