scriptइस मंदिर में राधाकृष्ण प्रतिमा की फोटो लेना है मना, कृष्ण वामन अवतार का है विशेष महत्व | It is forbidden to take photo of Radhakrishna statue in this temple | Patrika News

इस मंदिर में राधाकृष्ण प्रतिमा की फोटो लेना है मना, कृष्ण वामन अवतार का है विशेष महत्व

locationकानपुरPublished: Aug 11, 2020 06:23:11 pm

Submitted by:

Arvind Kumar Verma

मंदिर की दीवारों पर अनोखी कलाकृतियां बनी हुई हैं, जिसे देखने लोग मंदिर की तरफ रुख करते हैं।

इस मंदिर में राधाकृष्ण प्रतिमा की फोटो लेना है मना, कृष्ण वामन अवतार का गई विशेष महत्व

इस मंदिर में राधाकृष्ण प्रतिमा की फोटो लेना है मना, कृष्ण वामन अवतार का गई विशेष महत्व

कानपुर देहात-श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर आज जगह जगह मंदिरों में तैयारियां पूर्ण हो चुकी हैं। लोग पूजन को लेकर अब पकवान बनाने में मशगूल है। राधा कृष्ण मंदिरों में आकर्षक झांकियां सजाई जा रही हैं। लोग घरों में भी माखनचोर के मथुरा का विहंगम झांकियां पन्नी व झालरों से सजा रहे हैं। मंदिरों की बात की जाए तो कानपुर देहात के कहिंजरी भीखदेव बाजार स्थित राधाकृष्ण मंदिर की लीला निराली है। करीब 150 वर्ष प्राचीन इस मंदिर का निर्माण सेठ रामनारायण उर्फ मनईयां ने बनवाया था। इसलिए इसे मनईयां सेठ का मंदिर भी कहा जाता है। स्थानीय लोगों के मुताबिक रियासतदारों के द्वारा बनवाए गए इस मंदिर की दीवारों पर अनोखी नक्काशी व कलाकृतियां बनी हुई हैं। जिसे देखने लोग आज भी मंदिर की तरफ रुख करते हैं।
जन्माष्टमी पर्व का इस मंदिर में विशेष महत्व है। सुन्दर झांकियों सहित रात्रिबेला में कृष्णलीला सहित संगीत कार्यक्रम होता है, जिससे क्षेत्र के लोगों का हुजूम उमड़ा है। लेकिन इस बार वैश्विक महामारी के चलते जन्माष्टमी का रंग फीका होगा। मंदिर के बारे में स्थानीय बुजुर्ग बताते हैं कि जन्माष्टमी पर एक पखवाड़े तक कार्यक्रम चलते हैं। दूर दराज से लोग भगवान के दर्शन करने मंदिर आते हैं। बताया कि रामनारायण के बाद उनके पुत्र लक्ष्मीनारायण मंदिर की देखरेख करते रहे और अब स्थानीय निवासी सुब्रत गुप्ता देखभाल करते हैं।
इस मंदिर की विशेषता है कि मंदिर के अंदर मूर्तियों की फोटो लेने की सख्त मनाही है। लोग मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन मोबाइल या कैमरे का इस्तेमाल फोटो खींचने के लिए नहीं कर सकते हैं। बताते हैं कि यहां भगवान कृष्ण के वामन अवतार को विशेष महत्व दिया जाता है। इसलिए वामन द्वादशी को विशेष कार्यक्रम होता है, जिसमें भगवान कृष्ण (वामन अवतार) का डोला उठता है। जिसके आकर्षक छवि के साथ राम तलैया में जाकर वे जल विहार करते हैं। इसे जल विहार उत्सव कहा जाता है। यह कार्यक्रम तीन दिन चलता है। अनंत चतुर्दशी को उसका समापन होता है।
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