झींझक की रिंकी का परिवार बेहद गरीब है। उसके पिता गल्ले का काम करते हैं। बचपन में जब उसके जबड़े में चोट लगी तो परिवारीजन उसका इलाज नहीं करा सके। जिसके चलते निचले जबड़े के पिछले हिस्से की हड्डी कनपटी की हड्डी से चिपक गई और जबड़ा विकसित नहीं हो पाया। जिससे उसका मुंह खुलना बंद हो गया था। इस वजह से वह कुछ भी नहीं खा सकी और २१ साल तक वह केवल तरल पदार्थों पर ही जीवित रही। सर्जरी के बाद पहली बार उसने कुछ खाया तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना रिंकी के लिए वरदान साबित हुई। प्राइवेट इलाज में इस सर्जरी का खर्चा ५० हजार से एक लाख के बीच आता है। आयुष्मान योजना के चलते रिकी की सर्जरी मुफ्त में हुई। सर्जन डॉ. शिवेंद्र सिंह ने बताया कि रिंकी के ऑपरेशन में तीन घंटे लगे। दो-तीन महीने बाद उसकी दूसरी सर्जरी होगी, जिसमें उसकी ठोड़ी सही की जाएगी। रिंकी का जबड़ा सही होने की जितनी खुशी उसे है, उससे कहीं ज्यादा खुश उसका परिवार है।