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संजय गांधी के चलते राजनीति में आए कमलनाथ, 15 साल के बाद कांग्रेस की एमपी में बनवा दी सरकार

locationकानपुरPublished: Dec 13, 2018 12:04:01 am

Submitted by:

Vinod Nigam

एमपी के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ कानपुर के खलासी लाइन मोहल्ले में रहकर गुजारा बचपन, देहरादुन में संजय गांधी से हो गई मित्रता और 22 साल की उम्र में पंजे की ली थी सदस्यता।

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खलासी लाइन के नाथ एमपी के बन सकते सम्राट

कानपुर। धार्मिक, आर्थिक और राजनीतिक नगरी के नाम से पहचाने जाना वाला कानपुर इनदिनों फिर सुर्खियों में हैं। क्योंकि मध्यपदेश में कांग्रेस की जीत में अहमरोल अदा करने वाले और भावी सीएम कमलनाथ का यहां से गहरा नाता हैं। कलनाथ का जन्म खलासी लाइन निवासी महेंद्रनाथ के घर में 18 नवंबर 1946 को हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा-दिक्ष यहीं हुई और इसी शहर में बचपन बीता। कमलनाथ की मां लीला नाथ का सपना था कि बेटा पढ़ लिखकर वकील बनें, लेकिन वो संजय गांधी से मुलाकात के बाद कमलनाथ राजनीति में आ गए और आज मध्यप्रदेश के सम्राट की दौड़ में सबसे आगे हैं। जिसके चलते यहां के कांग्रेसी नेता खासे गदगद हैं। पूर्व सांसद राजाराम पाल कहते हैं कि कमलनाथ जी जमीन से जुड़े नेता हैं और वो गंगा-जमुनी के लिए प्रसिद्ध राज्य एमपी को विकास के पथ पर ले जाएंगे।

कौन हैं कमलनाथ
कमलनाथ के पिता महेंद्र नाथ कानपुर के खलासी लाइन में अपनी पत्नी लीला नाथ के साथ रहते थे। कमलनाथ ने प्रारंभिक शिक्षा-दिक्षा यहीं से की और आगे की पढ़ाई के लिए देहरादून चले गए। इसी स्कूल में इंदिरा गांधी के बड़े बेटे संजय गांधी भी पढ़ते थे। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शंकरदत्त मिश्रा बताते हैं, कमलनाथ की मुलाकात संजय गांधी से हुई और दोनों के बीच दोस्ती हो गई। 19966-67 में कमलनाथ और संजय गांधी कानपुर आए थे और तिलकहॉल जाकर कांग्रेस के नेताओं से मिले थे। आगे की पढ़ाई के लिए कमलनाथ कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज चले गए। पर दोनों की दोस्ती बदस्तूर जारी रही। संजय गांधी के कहने पर कमलनाथ ने 1968 में मात्र 22 साल की उम्र में कांग्रेस का हाथ थामा था। इस वक्त कमलनाथ मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं।

दोनों की एक थी सोंच
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मिश्रा बताते हैं कि कमलनाथ और संजय गांधी का सपना था कि देश में छोटी कार का बड़े पैमाने पर उत्पादन कराया जाए। जिसकी पूरी तैयारी भी कर ली गई थी लेकिन संजय गांधी के आकस्मिक निधन से उनका सपना अधूरा रह गया। संजय गांधी और कमलनाथ स्कूल के क्लासरूम से लेकर पॉलिटिकल कॉरिडोर तक साथ-साथ रहे। कमलनाथ और संजय गांधी की दोस्ती की वजह से वो इंदिरा गांधी के भी करीबी थे। मिश्रा बताते हैं कि, विपक्षी नेता कमलनाथ को इंदिरा गांधी का तीसरा बेटा भी कहते थे और उनके लिए एक लोकोक्ति भी बनाई थी। इंदिरा गांधी के दो हाथ संजय गांधी और कमलनाथ। इसका नारा कानपुर में लगता था। मिश्रा बताते हैं कि कमलनाथ का घर 70 के दशक में बिक गया था। किसने लिए ये तो हमें नहीं मालूम। पर उनका घर एग गली के अंदर था।

दोस्त के लिए गए जेल
1975 में जब इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगवाई थी, उस वक्त भी कमलनाथ संजय गांधी के साथ रहा करते थे। 1977 में जब केंद्र में पहली गैर कांग्रेसी और जनता पार्टी की सरकार बनी और 1979 में संजय गांधी को तिहाड़ जेल भिजवाया था, तब इंदिरा गांधी संजय गांधी की सुरक्षा को लेकर चिंतित हो गई थीं। तब कमलनाथ ने नाटकीय घटनाक्रम में तिहाड़ जेल में एंट्री लेने की योजना बनाई। उन्होंने जज के ऊपर कागज के गोले फेंक दिए। भीड़ में छिपे कमलनाथ को जब जज ऐसा करते हुए नहीं देख पाए तब कमलनाथ कोर्ट रूम में जोर-जोर से चिल्लाने लगे थे और इसी के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया। इमरजेंसी के बाद वो संजय गांधी के साथ 14 बार जेल जा चुके थे।

कमलनाथ ने करवाई थी रैली
आपातकाल के बाद कांग्रेस कई चुनाव हार गई थी। तब कमलनाथ ने इंदिरा गांधी से कानपुर में रैली को कहा था। कमलनाथ के कहने के बाद इंदिरा फूलबाग में दहाड़ी और 1980 में कांग्रेस की सरकार बन गई। इसी चुनाव में पार्टी आलाकमान ने कमलनाथ को छिंदवाड़ा सीट से टिकट दिया। यहां से चुनाव जीत कर कमलनाथ संसद पहुंचे। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी के सीनियर नेता और नौ बार लोकसभा सांसद रहे कमलनाथ को मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया है। कमलनाथ नेहरू-गांधी परिवार के काफी करीबी नेताओं में गिने जाते रहे हैं। वो इंदिरा गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी के काफी करीब रहे हैं।

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