कानपुर नगर निगम की आज पहली बैठक थी। जिसमें भाजपा के सभी 57 और विरोधी दलों के अन्य पार्षद सदन में मौजूद थे। इसी दौरान मेयर ने सदन की कार्यवाही शुरू कर दी, तभी कांग्रेस पार्षद जरीना खातून बीच में बोल पड़ीं। उन्होंने कहा कि पूरे परिसर में वंदेमारत गीत को लिखा गया और कार्यवाही शुरू होने से पहले गीत गाए जाने की बात कही गई, लेकिन भाजपा भूल गई। पूरी सदन में इसके चलते हंगामा होने लगा और भाजपाईयों की पोल खुलते देख भाजपा बैकफुट में आ गई और काम-काज छोड़कर राष्ट्रगीत गुनगनाने लगे।
दरअसल यह चूक राजनैतिक कारणों से हुई। आज पहली बैठक में नगर निगम की एक्जीक्यूटिव कमेटी का चुनाव होना था। 12 सदस्यों वाली कमेटी में भाजपा की कोशिश तीन चौथाई सीटों पर कब्जा जमाने की थी। इसी हड़बड़ी में सदन शुरू होते ही चुनावी जोड़ तोड़ की राजनीति शुरू हो गयी और वन्देमातरम गायन की परम्परा पीछे छूट गयी। बाद में भाजपा, कांग्रेस और यहां तक कि मुस्लिम पार्षदों ने हंगामा किया तो कार्यकारिणी के चुनावी की चर्चा रोक कर राष्ट्रीय गीत गाया गया। कांग्रेस पार्षद जरीना खातन ने कहा कि अपने को देशभक्त बनाने वाली पार्टी की कलई कुल कर सामने आ गई। सदन में सत्ता के खातिर भाजपा नेता अपने कथन से पीछे हट गए। भाजपा वंदेमारम का गुणगान सिर्फ वोटबैंक के चलते करती है।
नगर निगम में कई पार्षद पहली बार जीत कर पहुंचे, इसलिये परम्पराओं के निर्वाहन की जिम्मेदारी मुख्यकार्यकारी अधिकारी की होती है। निर्वाचित सदन में यह पद नगर आयुक्त के पास होता है, लेकिन इस गलती को वे अपने शब्दों से रफू करते नजर आये। कानपुर नगर निगम की कार्यकारिणों में दबदबा बनाये रखने के लिये भाजपा के लिये ये जरूरी होगा कि वो उन बागियों पर अनुशासन का डण्डा न चलाये जो पार्षद का चुनाव जीत चुके हैं और उन्हें पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान करने के लिये राजी कर लें। महापौर का कहना है कि बागियों को मनाने का काम पार्टी संगठन ने संभाला हुआ है, लेकिन बागियों की समस्या केवल भाजपा नहीं बल्कि कॉंग्रेस और सपा के सामने भी है।