बम की तरह हुआ धमाका-
बाबुपुरवा थाना क्षेत्र ट्रांसपोर्ट नगर में मां बिंद वाश्नियत तम्बाखू नाम की फैक्ट्री है। इस फैक्ट्री में मधु पान मसाला बनता है। गुरुवार को फैक्ट्री में एक दर्जन कर्मचारी काम कर रहे थे। फैक्ट्री के फर्स्ट फ्लोर में ब्वायलर लगा हुआ था। पहले और दूसरे फ्लोर में मजदूर काम कर रहे थे। इसी दौरान फैक्ट्री के अन्दर जोरदार धमाका हुआ और चारों तरफ हडकंप मच गया। धमाके में 13 फिट ऊंची दीवार ढह गई और छत उड़ गई। फैक्ट्री में आग लग गई जिसकी सूचना पर पहुंची पुलिस व दमकल की चार गाड़ियों ने आग पर काबू पाया।
बाबुपुरवा थाना क्षेत्र ट्रांसपोर्ट नगर में मां बिंद वाश्नियत तम्बाखू नाम की फैक्ट्री है। इस फैक्ट्री में मधु पान मसाला बनता है। गुरुवार को फैक्ट्री में एक दर्जन कर्मचारी काम कर रहे थे। फैक्ट्री के फर्स्ट फ्लोर में ब्वायलर लगा हुआ था। पहले और दूसरे फ्लोर में मजदूर काम कर रहे थे। इसी दौरान फैक्ट्री के अन्दर जोरदार धमाका हुआ और चारों तरफ हडकंप मच गया। धमाके में 13 फिट ऊंची दीवार ढह गई और छत उड़ गई। फैक्ट्री में आग लग गई जिसकी सूचना पर पहुंची पुलिस व दमकल की चार गाड़ियों ने आग पर काबू पाया।
डेढ़ साल पहले भी फटा था ब्वायलर-
मधू पान मसाला फैक्ट्री में डेढ़ साल बॉयलर फटने से नौबस्ता के बक्तौरी पुरवा में रहने वाले पुत्तन दुबे (39) की लिफ्ट में दब कर मौत हो गई थी। पुत्तन के परिवार में पत्नी रीमा के बेटी आचल (11), काजल (6), बेटा सागर (3) साथ रहते थे। मृतक के परिजनों को फैक्ट्री की तरफ से 6 लाख रुपये दे कर समझौता कराया गया था। उस वक्त यह बात सामने आई थी की यह लिफ्ट बीते एक हफ्ते से ख़राब थी। मजदूरों ने इसकी शिकायत फैक्ट्री मालिक से की थी, लेकिन मालिक द्वारा इसकी मरम्मत नहीं कराइ गई थी।
मधू पान मसाला फैक्ट्री में डेढ़ साल बॉयलर फटने से नौबस्ता के बक्तौरी पुरवा में रहने वाले पुत्तन दुबे (39) की लिफ्ट में दब कर मौत हो गई थी। पुत्तन के परिवार में पत्नी रीमा के बेटी आचल (11), काजल (6), बेटा सागर (3) साथ रहते थे। मृतक के परिजनों को फैक्ट्री की तरफ से 6 लाख रुपये दे कर समझौता कराया गया था। उस वक्त यह बात सामने आई थी की यह लिफ्ट बीते एक हफ्ते से ख़राब थी। मजदूरों ने इसकी शिकायत फैक्ट्री मालिक से की थी, लेकिन मालिक द्वारा इसकी मरम्मत नहीं कराइ गई थी।
जर्जर ब्वायलर के जरिए चल रहा काम-
कानपुर नगर व देहात में ऐसी दर्जनों फैट्रियां हैं, जहां जर्जर ब्वायलर के जरिए काम किया जा रहा है। रनियां में तीन माह पहले बॉयलर फटने से तीन मजदूरों की मौत हुई थी। श्रम विभाग के साथ ब्वायलर लेबर विभाग के अफसरों ने जांच की और पाया था कि ब्वायलर बिना डेंट के कर्मचारी चला रहे थे। जिले में जितनी भी फक्ट्रियां हैं, इनमें ट्रेंड बॉयलर ऑपरेटर की जगह मजदूरों के जरिए काम कराया जाता था। बतादें बॉयलर को चलाने के लिए श्रृम विभाग की तरफ से बॉयलर सर्टिफिकेट जारी किया जाता है, लेकिन वर्तमान में जिले की एक भी फैक्ट्री में ट्रेंड आपरेर्टर नहीं हैं।
कानपुर नगर व देहात में ऐसी दर्जनों फैट्रियां हैं, जहां जर्जर ब्वायलर के जरिए काम किया जा रहा है। रनियां में तीन माह पहले बॉयलर फटने से तीन मजदूरों की मौत हुई थी। श्रम विभाग के साथ ब्वायलर लेबर विभाग के अफसरों ने जांच की और पाया था कि ब्वायलर बिना डेंट के कर्मचारी चला रहे थे। जिले में जितनी भी फक्ट्रियां हैं, इनमें ट्रेंड बॉयलर ऑपरेटर की जगह मजदूरों के जरिए काम कराया जाता था। बतादें बॉयलर को चलाने के लिए श्रृम विभाग की तरफ से बॉयलर सर्टिफिकेट जारी किया जाता है, लेकिन वर्तमान में जिले की एक भी फैक्ट्री में ट्रेंड आपरेर्टर नहीं हैं।