शहर के काकादेव कोचिंग मंडी को एजुकेशन हब कहा जाता है। इस कोचिंग मंडी में पढऩे वाले कुल छात्रों में केवल ३० फीसदी ही शहर के होते हैं, बाकी ७० फीसदी छात्र-छात्राएं कानपुर के आसपास के छोटे शहरों और गांवों से आते हैं। इंजीनियरिंग से लेकर मेडिकल व बैंकिग से लेकर अन्य विषयों की पढ़ाई की यहां कोचिंग चलती है। यहां से पढक़र बच्चे अच्छे कॉलेजों में प्रवेश पाते हैं। उच्च शिक्षा में शहर जितना आगे हैं, बेसिक शिक्षा में उतना ही पीछे।
कानपुर नगर के दो पड़ोसी जिले संसाधनों और शिक्षा के लिहाज से काफी पीछे हैं। इसके बावजूद बेसिक स्कूलों के बच्चों ने कानपुर को पछाड़ दिया। बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से कराई गई लर्निंग आउटकम की परीक्षा में कानपुर नगर के केवल ९.२७ फीसदी बच्चे ही एक प्लस ग्रेड पा सके, जबकि इटावा के २२.७१ प्रतिशत और कन्नौज के २१.३१ प्रतिशत बच्चों को ए प्लस ग्रेड मिला। इस लिस्ट में कानपुर सबसे नीचे है। यही हाल ए ग्रेड का भी रहा। इसमें भी कन्नौज के २६.४८ प्रतिशत और इटावा के २४.८२ प्रतिशत बच्चे शामिल रहे और कानपुर के महज १७ फीसदी बच्चों को यह ग्रेड मिल सका।
इस परीक्षा में छोटे जिलों के बच्चों का प्रदर्शन कानपुर से बेहतर रहा। ए प्लस ग्रेड में इटावा और कन्नौज के अलावा औरैया, कानपुर देहात और फर्रुखाबाद भी कानपुर से आगे रहा। जबकि ए ग्रेड में कन्नौज, इटावा, कानपुर देहात और फर्रुखाबाद ने कानपुर को पीछे किया। केवल बी और सी ग्रेड में ही कानपुर को पहला और दूसरा स्थान मिल सका।