पहली बार मैदान में महिला प्रत्याशी
कानपुर क्लब के लिए चुनाव में कई बड़े-बड़े उद्योगपति मैदान में हैं और उनकी भाग्य का फैसला 3232 मदताता कर रहे हैं। दो दिन का मतदान हो चुका है और रविवार को भी मतदान प्रक्रिया होगी। चुनाव संयोजक नितिन गुप्ता ने बताया कि 129 साल पुराने कानपुर क्लब के इतिहास में पहली बार बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के पद के लिए किसी महिला ने नामांकन किया है। मीतू रोहतगी चंद्रकांता नर्सिग होम के संचालक संदीप रोहतगी की पत्नी हैं। वह पति के साथ मिलकर नर्सिग होम का प्रबंधन भी देखती हैं। डॉक्टर एलके निगम, मीतू रोहतगी के पिता हैं। मीतू कहती हैं कि वो अपने पिता के साथ बपचन से क्लब में आती रही हैं। यहां पर महिलाओं के बजाए पुरूषों को वर्चस्व रहा। हमने कईबार इस पर आवाज उठाई, लेकिन सुनवाई नहीं होने के चलते खुद इस दफा चुनाव के मैदान में उतर कर 128 साल बात पुरूषों से यह कुर्सी लेकर महिलाओं की आवाज बुलंद करेंगे।
इसलिए चुनाव के मैदान में उतरीं
मीतू ने बताया कि इस सफर को तय करने में उन्हें काफी वक्त लगा। उनका दावा है कि इस बार सिर्फ मैं आईं हूं अगले वर्ष कई और महिलाएं दावेदार करेंगी। मीतू कहतीं है कि वह बचपन से ही कानपुर क्लब जाती रही हैं। कुछ चीजों को लेकर आपत्ति उन्हें रहती थी। इसकी शिकायत भी की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में लगा कि अगर कमेटी में कोई महिला मेंबर होती तो समस्या को अच्छे से समझ सकती। मीतू ने कहा कि काफी सोच-समझकर खुद मैदान में उतरने का फैसला लिया। वे बोलीं, जब मैंने परिवार को चुनाव लड़ने के विचार से अवगत कराया तो सभी ने इसका स्वागत किया। पिता डॉ. एलके निगम और पति संदीप रोहतगी ने काफी सपोर्ट किया। यही नहीं क्लब के मेंबर्स ने भी फैसले को सराहा। उनका कहना है कि सकारात्मक सोच के साथ चुनाव में उतरूंगी। जीत-हार तो दूर की बात है, सबसे जरूरी है डर और हिचक को खत्म करना। यह दोनों खत्म हो गए हैं, इसकी खुशी है।
चुनाव जीतने पर बदलेगा क्लब
मीतू ने कहा कि मतदाताओं पर मुझे पूरा भरोसा है और उन्हीं लोगों के चलते मैंने चुनाव में उतरने का मन बनाया। अगर मैं चुनाव जीतती हूं तो क्लब में कई बदलाव करूंगी। यहां पर महिलाओं की संख्या बड़ेगी। साथ ही क्लब को आमशहरियों के लिए भी खोला जाएगा। मीतू कहती हैं कि जब मैंने नमांकन किया तो मुझे लगा कि ये चुनाव बिना पैसे के लड़ा जा सकता है। पर ऐसा बिलकुल नहीं हैं। यह भी राजनीतिक दलों की तरह पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है। मीतू कहती हैं कि दिग्गजों ने चुनावों को नए मोड़ पर खड़ा कर दिया है और कई तो इसे अपनी प्रतिष्ठा मानकर चल रहे हैं। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। इसके पहले कानपुर क्लब चुनाव में पैसा और रूतबा नहीं देखा गया।
मेंबरों की बढ़ी चिंता
वहीं यहां के मेंबरों का कहना है कि पहली बार शहर के नामीं कारोबारी चुनाव के मैदान में कूद गए हैं। इसलिए जीत के साथ-साथ प्रतिष्ठा भी फंस गई है। जिन प्रत्याशियों की जीत तय मानीं जा रही थी। उनमें लड़ाई नंबर एक की पोजीशन को लेकर है। अब सबसे ज्यादा वोट लेने की प्रतिस्पर्धा छिड़ी है। दिग्गज लोगों ने जीत के बाद इसे मूंछ का बाल बना दिया है। इस बीच क्लब के सामान्य सदस्यों को इस बात की चिंता सता रही है ि कवे राजनीति और पतिस्पर्धा चुनाव तक सीमित रहे। इसके लिए सदस्य सकर्त हैं और एक-दूसरे के संपर्क में है। बतादें कानपुर क्लब चुनाव में राघवेंद्र चंद्र सेठ, एमजेडयू सिद्दीकी, सुशील जैन,संजय बहरानी,शरद कुमार मिश्रा, हरपिंदर सिंह, कमल किशोर चांडक, उत्कर्ष गोयल, संजय गुप्ता, रिषी कात्याल, तनवीर सिंह, निशांत गुलाटी, मीतू रोहतगी, शरद मिश्रा और श्रीगोपाल तुलस्यान चुनाव के मैदान में हैं।
कर्नल सिद्दीकी भी दे रहे टक्कर
पहली बार क्लब के चुनाव में उतरे सैन्य अधिकारी कर्नल एमजेडयू सिद्दीकी ने सबसे पहले एजेंडा और घोषणापत्र जारी कर दिया है। कहा है कि सदस्यों को क्लब की सुविधाओं का आसानी से और अच्छे माहौल में आनंद मिलना चाहिए। कमेटी और क्लब के कर्मचारियों के खराब व्यवहार से मुक्ति दिलाने का उन्होंने वादा किया है। क्लब की सर्विस ऐसी होगी कि कानपुर क्लब की गरिमा के अनुरूप प्रत्येक सदस्य अपने आप को विशिष्ट महसूस करे। बतादें कानपुर क्लब के लिए 2014 में मतदान हुआ था। तब यहां करीब 3 हजार सदस्य थे। लेकिन 4 सालों में इनकी संख्या 32 सौ के पार पहुंच गई हैं। उस वक्त कुल 2112 वोट पड़े थे। इसमें सबसे अधिक वोट रमन भल्ला को मिले थे। रमन भल्ला श्रीगुरु सिंह सभा लाटूश रोड के उपाध्यक्ष सुखविंदर सिंह लाडी के पुत्र और स्व. हरवंश सिंह भल्ला के पौत्र हैं।