अकबरपुर लोकसभा सीट की समीक्षा के दौरान संगठन में गुटबाजी चरम पर दिखी। पर्यवेक्षक के सामने ही अफरातफरी का माहौल पैदा हो गया। नेता आपस में ही गालीगलौच और धक्कामुक्की पर आमादा हो गए। पर्यवेक्षक के हस्तक्षेप के बाद दोनों को अलग-थलग किया गया। विवाद के बाद पर्यवेक्षक ने कल्याणपुर के बाद घाटमपुर विधानसभा की समीक्षा की तो ग्रामीण और कानपुर देहात इकाई का संगठनात्मक ढांचा कमजोर मिला। बूथ की तैयारी भी अधूरी दिखी।
अकबरपुर लोकसभा सीट के पर्यवेक्षक दातार सिंह मीणा ने कल्याणपुर विधानसभा के कांग्रेसियों के साथ बैठक शुरू की तो कुर्सी पर बैठने को लेकर विवाद शुरू हो गया। कांग्रेसी नेता अशोक धानविक और ऊषारानी में कुर्सी को लेकर कहासुनी होने लगी। जिस कुर्सी में ऊषा बैठी थीं, उन्हें मंच से बोलने के लिए आमंत्रित किया गया तो वह खाली हो गई। उसी समय गेस्ट हाउस में अशोक पहुंचे और खाली ऊषा की कुर्सी में बैठ गए। भाषण देकर ऊषारानी कोरी नीचे उतरी तो उन्होंने अशोक कहा कि हमारी कुर्सी खाली करो। बस, इसी बात पर दोनों नेताओं में झगड़ा हो गया। झगड़े में झड़प के साथ धक्का-मुक्की और अपशब्दों के प्रयोग किए गए। बाद में वरिष्ठों के हस्तक्षेप से मामला शांत हुआ।
अकबरपुर के अलावा महानगर सीट पर भी यही स्थिति है। यहां पर हुई बैठक में भी पर्यवेक्षक के सामने ही दावेदारों के समर्थक अपने नेता के पक्ष में नारेबाजी करने लगे थे। उससे पहले लखनऊ में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समक्ष बैठक में भी टिकट के बड़े दावेदारों के मन में एक दूसरे को लेकर खटास नजर आई थी, जिस पर सिंधिया ने नाराजगी भी जाहिर की थी। यह मामला आलाकमान के लिए चिंता की वजह है।