यह भी पढें: कानपुर और लखनऊ के बीच रैपिड रेल चलाने की कवायद शुरू, बहुत कम समय में आसान होगा सफर नई शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालय ने नए सत्र के लिए कोर्स डिजाइन करने की रूपरेखा तैयार कर ली है। नई शिक्षा नीति की स्टेयरिंग कमेटी की सदस्य प्रो. अंशु यादव ने बताया कि स्नातक व स्नातकोत्तर की डिग्री को रोजगारपरक कोर्स से जोड़ा जाएगा। इनमें शोध कार्य का कुछ न कुछ अंश जरूर रहेगा। स्नातक व स्नातकोत्तर के छात्रों के कोर्स में ऐसे विषयों को प्राथमिकता पर खा जाएगा जो रोजगार दिलाने योग्य हों। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि छात्र छात्राएं ऐसे कोर्स से रूबरू हों जो उन्हें उद्यमिता के क्षेत्र में ले जाएं।
समय की मांग को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय ने एमएससी इलेक्ट्रॉनिक्स इंटीग्रेटेड, गर्भ संस्कार सार्टिफिकेट कोर्स, योगा इंस्ट्रक्टर कोर्स व हैप्पीनेस कोर्स लांच किए हैं। इनका लाभ छात्रों को मिलने लगा है। नए सत्र से डाटा साइंस व एमएससी कंप्यूटर साइंस का कोर्स शुरू करने का उद्देश्य भी छात्रों को शोध व नवाचार के क्षेत्र में आगे बढ़ाना है। बताया गया कि रोजगारपरक व नवाचार के कोर्स का आगाज शहर के डिग्री कॉलेजों में भी हो चुका है। डीएवी, डीजी व डीबीएस डिग्री कॉलेज में कंप्यूटर, योग, फैशन व डिजाइनिंग समेत अन्य विषयों के कोर्स शुरू किए गए हैं। जिसका लाभ भी छात्र छात्राओं को मिलने लगा है।