उदय देसाई ने १९९५ में मैसर्स फ्रास्ट इंटरनेशनल लिमिटेड कंपनी शुरू की थी। यह कंपनी हीरा कारोबार के अलावा मिनरल्स, प्लास्टिक, केमिकल की खरीद-बिक्री करती है। इसके अलावा इस कंपनी का रियल इस्टेट कंपनियों में भी पैसा लगाया गया है। देसाई इस कंपनी के प्रबंध निदेशक हैं।
हीरा कारोबारी उदय देसाई ने अपनी कंपनियों मैसर्स फ्रास्ट इंटरनेशनल लिमिटेड, फ्रास्ट इंफ्रास्ट्रक्चर व एनर्जी लिमिटेड समेत कई कंपनियों के नाम पर वर्ष 2002 से 2010 के बीच तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक का लोन लिया। वर्षों तक लोन की किस्तें ठीक चलती गई और और लगातार लिमिट भी बढ़ती गई। इसके बाद वर्ष 2018 में इनके खाते एनपीए होने लगे।
वर्तमान में इनके 14 बैंकों में इतने ही खाते एनपीए हो चुके हैं। लगातार डिमांड नोटिस जारी करने के बाद भी इनकी कंपनियों से लोन की रकम वापस नहीं हुई तो बैंकों ने सख्ती शुरू की। अब बैंक ऑफ इंडिया ने मुंबई, कानपुर और गुडग़ांव स्थित संपत्तियों को कब्जे में ले लिया है। कई संपत्तियां अभी जब्त होने की स्थिति में हैं और कई नीलामी की प्रक्रिया में चल रही हैं।
उधर हीरा कारोबारी उदय देसाई ने सफाई देते हुए कहा है कि मंदी के चलते कारोबार थम गया है। ऐसे वक्त में बैंकों को उनका साथ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरी सभी कंपनियां चल रही हैं और वह अब तक के सफल उद्यमी रहे हैं। कर्ज अदायगी के प्रयास चल रहे हैं और मैं सभी बैंकों का पैसा लौटाऊंगा।