222 कछुओं के साथ दो तस्कर गिरफ्तार, कानपुर से कोलकाता पहुंचाई जानी थी खेप
कानपुरPublished: Sep 19, 2017 11:50:16 am
जीआरपी ने तस्करों के खिलाफ वन जीव-जंतु संरक्षण अधिनियम का मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया है
कानपुर. उन्नाव से कानपुर के रास्ते दूसरे राज्यों में बड़े पैमाने पर कछुओं की तस्करी की जा रही थी। मुखबिर की सटीक सूचना पर सेन्ट्रल स्टेशन के प्लेटफार्म क्रमांक पांच में जीआरपी (रेलवे पुलिस) ने करीब 222 कछुओं के साथ दो तस्करों को धर दबोचा। पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि जब से बूचड़खानों में तालेबंदी हुई है, कछुओं की डिमांड बढ़ गई है। ये खेप कोलकाता पहुंचाई जानी थी। जीआरपी इंस्पेक्टर के मुताबिक, एक कछुए की कीमत करीब 2100 रुपए है। उन्होंने कहा कि तस्करों के नेटवर्क को ध्वस्थ करने के लिए पुलिस के सहयोग से अभियान चलाया जाएगा।
222 कछुए बरामद
जीआरपी इन्स्पेक्टर राम मोहन राय ने बताया कि सोमवार को सटीक सूचना के आधार पर जीआरपी ने प्लेटफार्म नंबर पर चेकिंग अभियान चलाया। इसी दौरान एक महिला व पुरुष जवानों को देखकर ट्रैक पर कुदकर भागने लगे, जिन्हें कुछ कदमों की दूरी पर धर दबोचा गया। जीआरपी के हत्थे लगे आरोपी आयेदा बेगम व मुस्कमीम के बैगों की तलाशी लेने पर इनके पास से 222 कछुए बरामद किए गए। जिसमें एक कछुआ विशेष प्रजाति का है, जिसकी कीमत करीब 2100 रुपए की है और इसकी मार्केट में ज्यादा डिमांड है। जीआरपी ने इनके खिलाफ वन जीव-जंतु संरक्षण अधिनियम का मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया।
पूर्वात्तर के राज्यों में है बिकता
पकड़े गए आरोपी ने जीआरीपी की पूछताछ के दौरान बताया कि ये कछुआ विशेष प्रजाति का है और कानपुर, उन्नाव, फतुहपुर और कौशांबी में भारी संख्या में पाया जाता है। इसे पकड़कर हमलोग कालकाता, उड़ीसा, असम राज्यों में पहुंचाते हैं। पुलिस को खक न हो इसके लिए इन्हें बैगों पर भरकर ट्रेन बसों के जरिए मांग के अनुसार पहुंचाते हैं। जीआरपी इंस्पेक्टर ने बताया कि इस प्रजाति के कछुओं के मांस से दवा भी बनाई जाती है, साथ ही इसका ज्यादा तक उपयोग खाने के तौर पर लोग करते हैं।