मेक इन इंडिया का सफल उत्पाद
डेंगू की यह जांच किट पूरी तरह मेक इन इंडिया के तहत तैयार की गई है। इसके जरिए 24 घंटे के भीतर हुए डेंगू के संक्रमण का पता चल सकेगा। दावा है कि इसका रिजल्ट एलाइजा जांच के रिजल्ट जैसा ही है। कार्डियोलॉजी के निदेशक प्रो. विनय कृष्णा का कहना है कि यह किट चमत्कारिक साबित होगी। यह टेंशन नहीं रहेगा कि प्लेटलेट कम हो रहा है या नहीं। इसको लेकर 20 जनवरी को दिल्ली में एक बैठक भी है। प्रो. कृष्णा के मुताबिक, यह जांच किट नैनो तकनीक पर आधारित है। आईआईटी-कानपुर में पेपर माइक्रोफ्लूइडिक तकनीक से एक टेस्ट कार्ड तैयार किया गया है। संस्थान में सीरम के साथ एनएस-1 प्रोटीन के साथ नमूने बनाकर टेस्ट किए गए। यह प्रयोग पूरी तरह से सफल रहे।
डेंगू की यह जांच किट पूरी तरह मेक इन इंडिया के तहत तैयार की गई है। इसके जरिए 24 घंटे के भीतर हुए डेंगू के संक्रमण का पता चल सकेगा। दावा है कि इसका रिजल्ट एलाइजा जांच के रिजल्ट जैसा ही है। कार्डियोलॉजी के निदेशक प्रो. विनय कृष्णा का कहना है कि यह किट चमत्कारिक साबित होगी। यह टेंशन नहीं रहेगा कि प्लेटलेट कम हो रहा है या नहीं। इसको लेकर 20 जनवरी को दिल्ली में एक बैठक भी है। प्रो. कृष्णा के मुताबिक, यह जांच किट नैनो तकनीक पर आधारित है। आईआईटी-कानपुर में पेपर माइक्रोफ्लूइडिक तकनीक से एक टेस्ट कार्ड तैयार किया गया है। संस्थान में सीरम के साथ एनएस-1 प्रोटीन के साथ नमूने बनाकर टेस्ट किए गए। यह प्रयोग पूरी तरह से सफल रहे।
२४ घंटे में रिजल्ट देने वाली पहली किट
संक्रमण के 24 घंटे के अंदर वायरस का पता लगाने वाली किट उपलब्ध नहीं है। डेंगू वायरस की पहचान के लिए अधिकतर किटें चीन, कोरिया समेत अन्य देशों से आती हैं जो काफी महंगी हैं। इनसे वायरस का पता भी डेंगू संक्रमण के तीन-चार दिन बाद चलता है। एलाइजा जांचों में भी समय लगता है। इससे मरीज का इलाज प्रभावित होता है। प्रो. विनय कृष्णा के मुताबिक आने वाले सीजन में स्वदेशी किट उपलब्ध हो जाएगी। प्रयोगशाला में परीक्षण में एक से डेढ़ महीने का समय लगेगा। उसके बाद फाइल एफडीए भेजी जाएगी।
संक्रमण के 24 घंटे के अंदर वायरस का पता लगाने वाली किट उपलब्ध नहीं है। डेंगू वायरस की पहचान के लिए अधिकतर किटें चीन, कोरिया समेत अन्य देशों से आती हैं जो काफी महंगी हैं। इनसे वायरस का पता भी डेंगू संक्रमण के तीन-चार दिन बाद चलता है। एलाइजा जांचों में भी समय लगता है। इससे मरीज का इलाज प्रभावित होता है। प्रो. विनय कृष्णा के मुताबिक आने वाले सीजन में स्वदेशी किट उपलब्ध हो जाएगी। प्रयोगशाला में परीक्षण में एक से डेढ़ महीने का समय लगेगा। उसके बाद फाइल एफडीए भेजी जाएगी।