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पाक आंतकियों के लिए बुरी खबर, सुदर्शन के जरिए सेना रखेगी नजर

locationकानपुरPublished: Nov 11, 2017 10:45:15 am

कानपुर आईआईटी के बीटेक प्रथम वर्ष के छात्र रजत त्रिपाठी, रामाकृष्णा व सौरभ सिन्हा ने दुनिया का ऐसा पहला रिमोट कंट्रोल बूमरैंग बनाया है।

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कानपुर. भारतीय सेना ने पिछले साल पाकिस्तान के अंदर घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इसी के बाद से आंतकियों के ठिकानों की टोह लेने के लिए कानपुर आईआईटी ने एक प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया था। आईआईटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अभिषेक कुमार के निर्देशन में बीटेक प्रथम वर्ष के छात्र रजत त्रिपाठी, रामाकृष्णा व सौरभ सिन्हा ने दुनिया का ऐसा पहला रिमोट कंट्रोल बूमरैंग बनाया है, जो बिना दिखे दुश्मन के इलाके की टोह ले सकेगा। सुदर्शन चक्र की तरह उड़ने वाले इस बूमरैंग के पंखों या ब्लेडों की रफ्तार इतनी तेज होगी कि उड़ने के दौरान यह नजर नहीं आएगा। एक वृत्त में उड़ने के कारण यह किसी भी इलाके की फोटो व वीडियो डिग्री पर लेने की क्षमता रखता है।


तीन छात्रों ने बनाया सुदर्शन


कानपुर आईआईटी सेना के साजो समान का निर्माण पहले से करती आ रही है, लेकिन एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के तीन छात्रों ने सुदर्शन नामक एक रिमोट बनाया है। ये बिना दिखे दुश्मन देश की सीमा के अंदर घुसकर दुश्मनों के स्थानों की टोह लेकर सीधे भारतीय सेना को पहुंचाएगा। इसकी दी गई जानकारी के बाद सेना ऑपरेशन शुरू कर सकती है। छात्र रामाकृष्णा ने बताया कि इस खास उपकरण को 50 फुट की ऊंचाई तक उड़ाया जा चुका है। रिमोट से चलने वाले बूमरैंग का प्रयोग सफल होने के बाद डॉ. अभिषेक इसकी तकनीक का पेटेंट भी फाइल कर चुके हैं। जल्द ही सेना के अफसर इसका ट्रायल करेंगे और उनके परीक्षण में सफल होने के बाद इसे सेना को दे दिया जाएगा।


जंगल, पहाड़ और पानी तक की ले सकता है टोह


छात्र रामाकृष्णा ने बताया कि सुदर्शन ड्रोन में 2300 किलोवोल्ट की मोटर, एक-एक फिट के दो ब्लेड या पंख लगे हुए हैं। उड़ान भरने के लिए ड्रोन में छह इंच का प्रोपेलर (सामने लगा पंखा) लगाया गया है। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह वृत्त में उड़ता है। इसका व्यास बढ़ाकर और व्यापक रूप से उड़ा सकते हैं। छात्र रामाकृष्णा का दावा है कि बूमरैंग का इस्तेमाल किसी भी क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति का पता लगाने व सर्विलांस के लिए किया जा सकता है। ये आकाश, पानी, जंगल और पहाड़ी इलाके में जाकर दुश्मनों की लोकेशन का पता बिना किसी की राडार में आए लगा सकता है।


इसलिए सुदर्शन नाम रखा


छात्र रामाकृष्णा ने बताया कि यह रिमोट बूमरैंग ठीक सुदर्शन चक्र की तरह घूमता है। उड़ते समय अगर इसे देखा जाए तो यह ऐसे मूवमेंट करता है जैसे सुदर्शन चक्र चल रहा हो। हमारे टीचर डॉक्टर अभिषेक ने इसी गुण के कारण इसका नाम सुदर्शन बूमरैंग रखा है। डॉक्टर अभिषेक ने बतसष्स कि अनमेंड हेलीकाप्टर पर शोध कार्य करने के दौरान सुदर्शन ड्रोन बनाने का आइडिया आया। बताया कि बूमरैंग देखा था, जो कॉलेज टाइम से मेरे जहन में था। शोध कार्य करते समय मैंने सोचा क्यों न सुदर्शन ड्रोन बनाया जाए। इसे बनाने में छह महीने का समय लगा।


आपदा और यु़द्ध के दौरान इस्तमाल


डॉक्टर अभिषेक ने बताया कि आपदा के दौरान व युद्ध के समय इसे इस्तेमाल करके उस स्थान की फोटो व वहां का वीडियो लेने के साथ यह सुदर्शन ड्रोन उसका लाइव टेलीकास्ट करने में भी सक्षम होगा। इसमें हाई फ्रेम रेट का कैमरा लगाकर 240 फ्रेम प्रति सेकेंड के वीडियो की जबकि कैमरे से एक सेकेंड में 30 फ्रेम का वीडियो ही रिकार्ड होता है। डॉक्टर अभिषेक के मुताबिक सेना इसके जरिए आंतकियों की टोह ले सकती है। ये दुश्मनों की राडार में आए बिना बार्डर पार आंतकियों की हर गतिविधि की जानकारी देने में सक्षम है। आंतकियों के खिलाफ ऑपरेशन के दौरान ये बड़ा हथियार साबित हो सकता है।

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