अधिकारियों ने इस बारे में कहा है कि अगर इलाज में रुचि नहीं है तो वे योजना से बाहर हो जाएं. अब तक जितने भी मरीजो को इलाज मिला है उनमें दो तिहाई से अधिक को सरकारी अस्पतालों में इलाज मिला है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक दूसरे जिलों में सबसे ज्यादा मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में इलाज मिला है. शासन के निर्देशों पर प्राइवेट असप्तालों से उनकी समस्याएं पूछी गई हैं.
कहा गया है कि अब दो लाख लोगों से अधिक को गोल्डन कार्ड उपलब्ध हैं. ऐसे में मरीजों की संख्या बढ़नी चाहिए, पर ऐसा नहीं हुआ है. उधर, सीएमओ की टीम ने उन प्राइवेट अस्पतालों की स्क्रीनिंग शुरू की है, जिन्होंने अभी तक एक भी मरीज को लाभ नहीं दिया है. सीएमओ डॉ. अशोक शुक्ला का कहना है कि प्राइवेट अस्पतालों के साथ बैठक कर लाभार्थियों को अधिक से अधिक लाभ देने की सलाह दी गई है.
योजना में शामिल अधिकतर प्राइवेट अस्पतालों में अभी तक कई बीमारियों की स्पेशियालिटी इलाज की व्यवस्था भी नहीं है. ऐसे में मरीजों का पंजीकरण नहीं हो रहा है. अधिकारियों के मुताबिक उन अस्पतालों को शामिल किए जाने का प्रयास किया जा रहा है, जहां लगभग इलाज की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं.
इन अस्पतालों का हुआ सत्यापन
योजना में शामिल होने वाले 18 प्राइवेट अस्पतालों का सत्यापन पूरा हो चुका है. योजना में 64 अस्पतालों के शामिल होने की बात कही गई है. अस्पतालों ने आवेदन किया था, इनको पूर्व में नोटिस देकरसभी सुविधाएं उपलब्ध कराने को कहा गया था.
ये गाइडलाइन आई
सरकारी अस्पतालों में इलाज के पैकेज और उनके लिए कोई गाइडलाइन नहीं थी. पिछले दिनों वित्तीय गाइडलाइन आ गई है. अब सरकारी अस्पताल भी पैकेज लॉक किए जा सकते हैं.