ऐसे दिया योजना को अंजाम ज्ञानेंद्र ने बताया कि सबसे पहले गज्जापुरवा गांव के रहने वाले एटीएम हैकर साथी नीलू के जरिए सचेंडी इलाके से फर्जी आइडी पर छह सिमकार्ड और दो पुराने फोन खरीदे। इनमें से एक नंबर से संजीत को फोन किया था और जन्मदिन की पार्टी के बहाने उसे बुलवाया था। जैसा सब कुछ पहले से तय था, वैसा ही किया और उसे कमरे में बांधकर डाल दिया। लेकिन इस बीच संजीत ने भागने की कोशिश की तो सभी ने मिलकर उसकी गला दबाकर हत्या कर दी। इसके बाद दूसरे फोन से संजीत के पिता चमन सिंह से फिरौती मांगी। उसने बताया कि पुलिस से बचने के लिए वे नंबर बदलकर बात कर रहे थे और फिर जिन नंबरों से बात की जा रही थी उसे उस कॉल के बाद बंद कर दिया जा रहा था। इसी तरह वे अब तक संजीत की किडनैपिंग से बचते आए हैं।
यह है पूरा मामला 22 जून को संदिग्ध परिस्थितियों में लैब टेक्नीशियन संजीत यादव का अपहरण हो गया था। इस बीच अपहरणकर्ताओं ने संजीत यादव के पिता चमन से फिरौती की मांग की। कम से कम 30 लाख की मांग की गी थी। इसकी जानकारी पुलिस को दी गई। पुलिस के अनुसार, बैग में फिरौती की रकम लेकर अपहरणकर्ताओं की बताई जगह पर पहुंचे। जब तक पुलिस अपहरणकर्ताओं को गिरफ्तार करती, वे पुल के नीचे से बैग लेकर फरार हो गए। वहीं, इस मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी निलंबित कर दिए गए। 31 दिन बाद पुलिस ने घटना का खुलासा किया और दावा किया कि संजीत के दोस्तों ने अपहरण की योजना बनाई थी और उसे फिरौती की रकम मांगने से पहले ही मारकर पांडू नदी में फेंक दिया। मामले में शुक्रवार को एक आईपीएस समेत 11 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया और दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।