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कलम के बजाय पिस्तौल वाली को सिर-माथे बैठाया, भाजपा की मिली बड़ी जीत

locationकानपुरPublished: Dec 01, 2017 05:46:21 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

बगावती तेवर वाले कानपुर के मतदाताओं ने दबंग छवि को सिर-माथे बैठाकर जता दिया कि हक के लिए लड़ने वालों के साथ ही शहर खड़ा रहेगा।

Pramila Pandey

Pramila Pandey

कानपुर. कांग्रेस का हथियार आत्मघाती साबित हुआ। बगावती तेवर वाले कानपुर के मतदाताओं ने दबंग छवि को सिर-माथे बैठाकर जता दिया कि हक के लिए लड़ने वालों के साथ ही शहर खड़ा रहेगा। कांग्रेस की बंदना मिश्र की हार के तमाम कारणों में सोशल मीडिया पर उनके स्कूल के तमाम कारनामे उजागर होना भी रहा। कांग्रेस के धनबल के बावजूद भाजपा प्रत्याशी प्रमिला पाण्डेय ने सवा लाख मतों से कांग्रेसी उम्मीदवार को चुनावी अखाड़े में पराजित कर दिया।
महापौर के चुनाव में लगातार तीसरी जीत के बाद शहर में भाजपाइयों ने सर्दी में होली का अहसास कराते हुए अबीर-गुलाल लगाकर जमकर डांस किया। गौरतलब है कि दस बरस पुरानी एक घटना और विजयदशमी पर घर में पिस्तौल-रायफल की पूजा के बाद हथियारों के साथ फोटो शेयर करने वाली प्रमिला पाण्डेय को कांग्रेस ने पिस्तौल वाली करार देकर डीपीएस की मालकिन को पढ़ा-लिखा बताकर प्रचार युद्ध छेड़ा था।
प्रमिला की आंधी में उड़ गए 12 उम्मीदवार-
कानपुर के निकाय चुनाव में मेयर की कुर्सी के लिए यूं तो 13 उम्मीदवार थे, लेकिन शुक्रवार को ज्यों-ज्यों गिनती का समय बढ़ता गया, त्यो-त्यों भाजपा जीत की ओर अग्रसर दिखाई पड़ी। चौथे चरण तक भाजपा प्रत्याशी प्रमिला पाण्डेय निकटतम कांग्रेस प्रत्याशी बंदना मिश्रा से करीब आठ हजार वोटों से आगे थीं, जोकि अंतिम राउंड में सवा लाख मतों का अंतर दिखने लगा। अलबत्ता शुरूआती एक घंटे में बसपा प्रत्याशी अर्चना निषाद ने कुछ देर के लिए टक्कर देना चाहा, लेकिन दसवें राउंड के बाद प्रमिला की आंधी चली तो अन्य उम्मीदवार उड़ गए। अंतिम गणना के वक्त भाजपा प्रत्याशी को 322205 मत, कांग्रेस प्रत्याशी को 195311 मत, सपा प्रत्याशी माया रतन गुप्ता को 94163 मत व बसपा प्रत्याशी अर्चना निषाद को 60573 मतों से संतोष करना पड़ा।
सरला सिंह ने 1995 में दिलाई थी जीत-
प्रमिला की जीत के साथ यह साफ हो गया कि कानपुर में भाजपा के गढ़ पर विपक्षियों को सेंध लगाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। भारतीय जनता पार्टी मेयर पद पर पिछले पांच चुनावों में चार मर्तबा जीत मिली है। पिछली तीन बार से भाजपा लगातार जीत रही है। रविंद्र पाटनी के बाद जगतवीर सिंह द्रोण और अब प्रमिला पाण्डेय ने भाजपा का परचम लहराया है। वर्ष 1989 में कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल मेयर चुने गए थे, लेकिन वह चुनाव सभासदों के जरिए हुआ था। श्रीप्रकाश के इस्तीफा देने पर महेंद्र सिंह को मध्य कार्यकाल में मेयर चुना गया। प्रत्यक्ष निर्वाचन शुरू होने पर 1995 में सरला सिंह ने कानपुर में कमल खिलाया था।
37 पार्षद जीते, 60 की उम्मीद-
2012 के निकाय चुनाव में भाजपा के पास 27 पार्षद थे, जो 2017 में बढक़र 60 के पार पहुंच सकते हैं। अधिकारिक तौर पर 110 में भाजपा के 37 पार्षद प्रत्याशी जीत चुके हैं, वहीं कई वार्डो में गिनती जारी है। वहीं कांग्रेस के 10 सपा के 8, बसपा के दो और निर्दलीय सहित अन्य दलों के 10 पार्षद चुनाव जीत चुके हैं। विधानसभा चुनाव में कानपुर की दस में दसों सीट बसपा हार गई थी। निकाय चुनाव में बसपा ने ब्राम्हण-दलित गठजोड़ के तहत पार्षद पद के लिए टिकट दिए, लेकिन मायावती को एक दांव कानपुर के मैदान में उल्टा साबित हुआ। कानपुर में बसपा 110 में से अभी तक दो सीट जीत पाई है। बसपा नगर अध्यक्ष अंटू मिश्रा ने चुनाव परिणाम पर कहा कि पार्टी कानपुर में पहले ही कमजोर थी। निकाय चुनाव में हमने अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी। शाम तक सारे परिणाम आने के बाद इस पर मंथन किया जाएगा और जो भी कमियां होंगी उन्हें लोकसभा से पहले दूर कर लिया जाएगा।
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