मेट्रो परियोजना के लिए केडीए को शासन ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। मेट्रो की शहर में राह आसान करने के लिए हर स्थानीय समस्या का समाधान केडीए को करना होगा। अभी तक केडीए के पास इस परियोजना से संबंधित कोई भी लिखित जिम्मेदारी नहीं थी। डेढ़ साल पहले शासन स्तर से भी इस मामले में किसी तरह के हस्तक्षेप करने से केडीए को मना कर दिया था। यही वजह है कि मेट्रो की राह में स्थानीय समस्याएं जस की तस पड़ी रहीं।
शासन द्वारा अधिकृत किए जाने से मेट्रो के रूट पर अवैध कब्जे और अतिक्रमण साफ केडीए ही करेगा। अभी तक एलएमआरसी की टीम यहां क्या कर रही थी और कैसे इसे प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाना था, इस बारे में सामंजस्य बनाने के लिए कुछ भी तय नहीं था। केडीए का दायित्व इतना था कि डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट के लिए कंपनी तय करे और इसे फाइनल कराए।
अतिक्रमण के अलावा राजकीय पॉलीटेक्निक परिसर में मेट्रो का यार्ड बनाने के लिए पॉलीटेक्निक की जमीन का चिह्नीकरण, जमीन की सुपुर्दगी, पेड़ों की कटान, केस्को के खंभों की शिफ्टिंग और जर्जर छात्रावासों के ध्वस्तीकरण को लेकर भी केडीए को एजेंडा तय करना होगा। एलएमआरसी और अन्य विभागों के बीच केडीए सेतु का काम करेगा।
मेट्रो की लाइन और स्टेशनों के लिए जमीनों के अधिग्रहण में भी केडीए की मुख्य भूमिका होगी। इस संबंध में बैठकें करने से लेकर संबंधित जमीनों के मालिकों को बुलाकर वार्ता करने की भी जिम्मेदारी केडीए के पास होगी। इसमें जिला प्रशासन, पुलिस, भूमि एवं अध्याप्ति, केस्को, पीडब्ल्यूडी और नगर निगम जैसे विभाग भी होंगे।