scriptDM की धारा 144 का नहीं दिखा असर, कानपुर सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर | kanpur most polluted in world says who report in up hindi news | Patrika News

DM की धारा 144 का नहीं दिखा असर, कानपुर सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर

locationकानपुरPublished: May 02, 2018 01:35:01 pm

Submitted by:

Vinod Nigam

जिला प्रशासन के दावे की निकली हवा, मैनचेस्टर-आफ-ईस्ट वर्ल्ड का सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर

जिला प्रशासन के दावे की निकली हवा, मैनचेस्टर-आफ-ईस्ट वर्ल्ड का सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर
कानुपर। कुछ माह पहले एनजीटी की रिपोर्ट आई थी, जिसमें कानपुर को प्रदूषण के मामले में चौथा स्थान मिला था। इसे रोकने के लिए डीएम सूरेंद्र सिंह ने शहर को प्रदुषण से मुक्ति दिलाने के लिए धारा 144 लागई थी। लेकिन डीएम की इस धारा का असर नहीं हुआ और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 15 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची जारी की है। इस लिस्ट में 14 नाम भारतीय शहरों के हैं, जिसमें कानपुर टॉप पर, वाराणसी तीसरे नंबर और पटना पांचवें नंबर पर है। वहीं दिल्ली का स्थान इस सूची में छठे नंबर पर है। रिपोर्ट में पहले स्थान पर कानपुर का नाम देख जहां सरकारी महकमा हलकान है तो 40 लाख की आबादी खौफजदा। लोगों ने इसके पीछे सरकार और उनके अफसरों की दोषी ठहराया है। आजाद नगर निवासी रिटायर्ट टीचर महेंद्र शुक्ला ने बताया कि बिल्डर और सरकारी बाबुओं के चलते शहर के आसपास लगे जंगलों का खात्मा करा दिया और वहां पर बहुमंजिला इमारत खड़ी हो गई। जब पौधे हीं नही बचेंगे तो शहर और नागरिक कभी स्वस्थ नहीं रह सकता।
40 लाख आबादी खौफजदा
विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ) की ओर से एक सूची जारी हुई है, जिसमें भारत के कई शहरों का प्रदूषित घोषित किया। वर्ल्ड के सबसे ज्यादा प्रदूषित 15 शहरों में 14 भारत के हैं। जिसमें यूपी के कानपुर को पहला स्थान मिला है। देश के सबसे प्रदूषित शहरों में पहले दान पर कानपुर के आने से सरकारी अफसरों के साथ ही चालीस लाख की आबादी भयभीत हो गई और लोगों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दी। राजनीतिक दलों में से कांग्रेस के नगर अध्यक्ष ने बताया कि चार साल पहले केंद्र में मोदी सरकार आई और देश के कई बिल्डरों की नजर कानपुर में लग गई। कटरी से लेकर शिवराजपुर, नौबस्ता से लेकर रमईपुर, कल्याणपुर से लेकर बिल्हौर तक और रामादेवी से लेकर रूमा तक की जमीनों पर खड़े पेड़ों का कत्लेआत कर दिया गया और वहां पर इमारतें खड़ी हो गई। वहीं सपा के नगर अध्यक्ष ने कहा कि यह सरकार के साथ ही आमशहरी के लिए भी बहुत बड़ी खबर है। हमें प्रदूषण से अपने शहर को बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा पौधरोपड़ करने होंगे और वाहनों की जगह साइकिल का इस्तेमाल करना होगा।
कुछ इस से डाटा किया तैयार
सौ देशों के चार हजार से अधिक शहरों के डेटाबेस से पता चलता है कि गंभीर वायु प्रदूषण पर केंद्र और राज्य की ओर से कदम उठाने के बावजूद 2010 से 2014 के बीच मामूली सुधार हुआ, मगर 2015 से फिर स्थिति खराब हुई। डब्ल्यूएचओ की ओर से सालाना सर्वे के आधार पर बुधवार(दो मई) को जारी इस लिस्ट में पीएम 10 और पीएम 2.5 के स्तर को शामिल किया गया है। 2010 से लेकर 2016 तक की रिपोर्ट में टॉप 15 में 14 भारतीय शहर ही हैं। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से कुल 20 प्रदूषित शहरों की लिस्ट जारी की गई है। 2016 में सबसे प्रदूषित शहर कानपुर रहा है, इसके बाद फरीदाबाद, वाराणसी, गया, पटना, दिल्ली, लखनऊ, आगरा , मुज्जफरपुर, श्रीनगर, गुड़गांव, जयपुर , पटियाला और जोधपुर का नंबर है। दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर 143 दर्ज किया गया।
प्रदूषण को रोकने के लिए लगाई गई थी धारा
कुछ माह पहले उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर को एनजीटी की रिपोर्ट में वायु प्रदूषण के मामले में देश के चौथे प्रदूषित शहरों में शुमार किया गया है। इसके बाद प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन सख्त हो गया है। प्रदूषण को लेवल में लाने के लिए जिला अधिकारी कानपुर ने सख्त निर्णय लिए है, जिसमे प्रदूषण करने वालों के खिलाफ धारा 144 का पहरा लगाया जाएगा। जिला अधिकारी ने शादी, अन्य मांगलिक कार्यो समेत किसी भी समारोह में आतिशबाजी पर रोक लगा दी है। कूड़ा जलाने ,खुले में गिट्टी, मिट्टी, मौरंग, बालू ले जाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है जो भी प्रतिबंध की अनदेखी करेगा प्रशासन की ओर से उसके ऊपर धारा 144 के उलंघन के आरोप में मुकद्दमा दर्ज कराया जाएगा। लेकिन डीएम का यह आदेश सिर्फ कगाजों में दौड़ता रहा। न तो आतिशबाजी रूकी और न हीं प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ धारा 144 लगी। खुद डीएम कई बार सड़क में उतरते वक्त मुंह पर रूमाल बांधे हुए पाए गए।
इन पर नही लगाई गई रोक
शहर में बड़े पैमाने पर सीवर लाइन, पेयजल लाइन, विभिन्न विभागों द्वारा केविल डालने के लिए खुदाई का कार्य भी किया जाता है। इसके चलते धूल उड़ती है, जिसके कण वातावरण में घुल कर सांस लेने में बंधक बन रहे हैं। जिसमे आतिशबाजी व कूड़ा जलाने से हवा में सल्फर डाई आक्साइड, नाइट्रोजन आदि गैसे मिल जाती है। यह सभी गैस शरीर मे जाकर सल्फर यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड बन जाती है। इस वजह से लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इसी से निपटने के लिए जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने शहर को प्रदूषण मुक्त बनाने के जिए धारा 144 लगाई और पर्यावरण पर आघात करने वालों के खिलाफ जेल भेजने के निर्देश जिले की पुलिस को दिए पर डीएम के निर्देश का अमल जमीन पर नहीं हुआ और बुधवार का दिन कानपुर के लिए सबसे बुरा साबित हुआ।
प्रदूषण के चलते मौतों का आंकड़ा बढ़ा
हैलट अस्पताल के मेडिसिन विभाग के डॉक्टर विकास गुप्ता ने बताया कि कानपुर की आबो-हवा इतनी दूषित हो गई है कि सर्वाधिक मौतों का कारण बन रही है। डॉक्टर गुप्ता ने बजाया कि 2015 में भारत में करीब 25 लाख लोगों की मौत प्रदूषण जनित बीमारियों की वजह से हुई है। विश्व के अन्य किसी देश में इतनी मौतें प्रदूषण के कारण नहीं हुई है। एक शोध से पता चला है कि प्रदूषण से हुई मौतों में से अधिकांश मौतें असंक्रामक रोगों से हुई हैं। इनमें दिल व हृदयाघात, मधुमेह, रक्तचाप, अस्थमा, दमा और फेफड़ों में कैंसर जैसे रोग शामिल हैं। प्रदूषण जनित बीमारियों और देख-रेख का खर्च भी बहुत अधिक है। हर साल करीब 46 खरब डॉलर का नुकसान इसके कारण होता है। यह विश्व अर्थव्यवस्था का 6.2 प्रतिशत है। डॉक्टर विकास गुप्ता बताते हैं कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान नई दिल्ली व इकहान स्कूल ऑफ मेडिसीन के अध्ययन के अनुसार 92 प्रतिशत मौतें निम्न व मध्य आमदनी वाले देशों में होती हैं। जिनमें भारत भी शामिल है।
आंकड़े देख सीएम को मिली अफसरों की जानकारी
सीएम योगी आदित्यनाथ बिठूर महोत्सव में शामिल होने के लिए आए थे और उन्होंने कानपुर को स्वच्छ और स्वस्थ्य शहर के निर्माण के लिए जिला प्रशासन को आदेश दिए थे। प्रशासन से सीएम के समक्ष वाहवाही लूटने के लिए झूठें आंकड़े दिखाए और कानपुर में सबसे ज्यादा पौधरोपड़ करने का दावा किया, लेकिन रिपोर्ट आने के बाद सीएम के अफसरों के झूठ से परदा उठा गया। 1. कानपुर (173 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर), 2. फरीदाबाद (172 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर), 3. वाराणसी (151 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर), 4. गया (149 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर), 5. पटना ( 144 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर), 6. दिल्ली (143 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर) 7. लखनऊ (138 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर), 8. आगरा (131 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर), 9. मुजफ्फरपुर ( 120 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर), 10. श्रीनगर (113 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर), 11. गुरुग्राम (113 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर)ख् 12. जयपुर (105 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर), 13. पटियाला (101 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर)ख् 14. जोधपुर (98 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर), 15. अली सुबाह अल सलीम (कुवैत) (94 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर)
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो