कानपुर

30 मुर्दा हिस्ट्रीशीटर्स की पुलिस कर रही थी निगरानी, कागज के जरिए दे रहे थे पल-पल की जानकारी

एसएसपी की जांच के बाद हुआ खुलासा, मौत के बाद हिस्ट्रीशीटर्स की कई थानों की पुलिस कर रही थी झूठी निगरानी

कानपुरOct 17, 2018 / 06:19 pm

Vinod Nigam

30 मुर्दा हिस्ट्रीशीटर्स की पुलिस कर रही थी निगरानी, कगाजों के जरिए दे रहे थे पल-पल की जानकारी

कानपुर। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ सूबे की पुलिस को बदलने के कई उपाए किए। उन्हें पब्लिक के सामने मित्रता से पेश आने के आदेश दिए। अपराधियों के खात्में के लिए इनकाउंटर तक की छूट दे दी, बावजूद प्रदेश के सिंघम सुधरने के बजाए गलत कार्यो के चलते सुर्खियों में छाए रहते हैं। ऐसा ही एक मामला कानपुर में सामने आया है। यहां के 30 नामी हिस्ट्रीशीटर्स की मौत के बाद भी पुलिस उनकी निगरानी कर रही थी और कागजों में इनकी जानकारी अलाधिकारियों तक पहुंचा रही थी। इसका खुलासा एसएसपी अनंत देव के आदेश के बाद सामने आया। जांच में पता चला कि 30 हिस्ट्रीशीटर की मौत हो जाने के बाद भी उनकी निगरानी की जा रही है। इस लापरवाही पर एसएसपी ने संबंधित थानेदार को फटकारने के साथ ही मर चुके हिस्ट्रीशीटर्स की हिस्ट्रीशीट को नष्ट करवाया।

करते रहे गुमराह
इनकाउंटर स्पेशलिस्ट एसएसपी अनंत देव तिवारी जिले की बागडोर संभालने के बाद थानेदारों के साथ बैठक की। एसएसपी ने सभी थानेदारों से कहा कि वे अपने-अपने थानाक्षेत्रों के हिस्ट्रीशीटर्स के ब्यूरा जुटाएं। इसी के बाद पुलिस के कार्यप्रणाली की पोल ख्ुलकर सामने आ गई। पिछले कई साल से कानपुर पुलिस 30 मुर्दा हिस्ट्रीशीटर्स पर नजर रखे हुए थे। आलाधिकारी जब भी इनके बारे में थाना स्तर में पूछताछ करते तो पुलिस उन्हें कागजों के जरिए गुमराह करती। एसएसपी की जांच में पता चला कि चौबेपुर और सजेती के आठ- आठ हिस्ट्रीशीटर की मौत हो चुकी है। फीलखाना और ककवन के तीन- तीन हिस्ट्रीशीटर की मौत हो चुकी है। ग्वालटोली, नौबस्ता, रेलबाजार, कलक्टरगंज और हरबंस मोहाल के एक- एक हिस्ट्रीशीटर की मौत हो चुकी है। इसके बाद भी इन हिस्ट्रीशीटरों की निगरानी की जा रही थी।

क्या होती है निगरानी
जिन अपराधियों पर कई मुकदमे दर्ज होते हैं और वे लगातार अपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहते हैं। इसके अलावा जो अपराधी गिरोह बनाकर अपराध करते हैं। इन अपराधियों पर नजर रखने के लिए पुलिस हिस्ट्रीशीट खोलती है। पुलिस को अपराधी की हिस्ट्रीशीट खुलने पर हर पंद्रह दिन में उसके घर जाकर तस्दीक करना होता है कि वह घर पर रह रहा है या नहीं। वह किन लोगों के संपर्क में रहता है और वह क्या काम कर रहा है। इसी के बाद वो अपने अधिकारियों को इनकी सूचना देता है। लेकिन इन थानों की पुलिस ने 30 मृतक हिस्ट्रीशीटर्स की निगरानी के नाम पर अफसरों को गुमराह किया। साथ ही अन पर नजर रखने के नाम पर मिलने वाले धनराशि को भी हजम कर रहे।

चुनाव के वक्त देते हैं सही जानकारी
थानों में तैनाम थानेदार व पुलिसकर्मी बिना अपराधियों के घर पर जाकर तस्दीक किए बिना ही थाने में बैठकर कागजों पर रिपोर्ट बनाकर आला अफसर को भेज देते हैं। सिर्फ चुनाव या अन्य कोई बवाल होने पर हिस्ट्रीशीटर के बारे में पता लगाया जाता है। यही वजह है कि 30 हिस्ट्रीशीटर की मौत होने के बाद भी कागजों में उनकी निगरानी हो रही थी। क्रिमिनल लॅयर रवींद्र चौहान कहते हैं कि हिस्ट्रीशीटर्स की मौत के बाद नजर रखना घोर लापरवाही है। जिन-जिन थानों में ऐसा कृत्य किया गया है, वहां के स्टॉफ पर कार्रवाई होनी चाहिए। चौहान बताते हैं कि पुलिस की इसी कार्यप्रणाली के चलते प्रदेश में अपराध कम होने के बजाए बढ़ा है। हां चुनाव के दौरान पुलिस ठीक तरीके से काम करती हैं। सरकारों को भी चुनाव आयोग की तरह ही काम करना होगा, तभी पुलिस व्यवस्था पर सुधार हो सकता है। आजादी के बाद पुलिस पुराने नियम-कानून के तहत कार्य कर रही है। उन्हें जल्द से जल्द बदल देना चाहिए।

इन मुर्दो की कर रही थी निगरानी
जांच के बाद जो नाम सामने आए हैं। उनमें से पप्पू उर्फ रवि शंकर ग्वालटोली, गजोधर प्रसाद वर्मा चकेरी, अली हसन चकेरी, संजय चौबे हरबंस मोहाल, नन्दलाल जायसवाल नौबस्ता, खुशीलाल ककवन, शिवप्रकाश वर्मा रेलबाजार, सतीश उर्फ छोटे बबन फीलखाना, अरुण कुमार उर्फ अन्नू फीलखाना, रमेश धोबी फीलखाना, वकील अंसारी कलक्टरगंज, रामेश्वर चौबेपुर, रणधीर चौबेपुर, राजेंद्र यादव चौबेपुर, रामदुलारे चौबेपुर, देवी प्रसाद चौबेपुर, सुंदर लाल चौबेपुर, नमोनारायण चौबेपुर,छेदीलाल चौबेपुर, इशरत उर्फ छुटकऊ बेकनगंज, मनोज कुमार सजेती, हरनाम सजेती, राजाराम सजेती, केश कुमार सजेती, विष्णुपाल सजेती, प्रताप सिंह सजेती, रामशंकर सजेती, विजय बहादुर सजेती, घसीटे ककवन, बशीर ककवन की मौत हो चुकी है।

 

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