script११ देशों के प्रमुख शहरों में कानपुर को मिला दूसरा स्थान, यह रही वजह | Kanpur ranks second among polluted cities in 11 countries. | Patrika News

११ देशों के प्रमुख शहरों में कानपुर को मिला दूसरा स्थान, यह रही वजह

locationकानपुरPublished: Nov 15, 2019 02:08:21 pm

पड़ोसी देश चीन का बीजिंग शहर पहले पायदान पर तो ढाका तीसरे नंबर पर दुनियाभर में प्रदूषण के लिए बदनाम शहर ही शोध में किए गए शामिल

११ देशों के प्रमुख शहरों में कानपुर को मिला दूसरा स्थान, यह रही वजह

११ देशों के प्रमुख शहरों में कानपुर को मिला दूसरा स्थान, यह रही वजह

कानपुर। दुनिया में कानपुर ने फिर नाम कमाया है, पर इस बार नाम बदनाम भी है। कानपुर दुनिया में दूसरे नंबर पर आया है पर यह पायदान उसे प्रदूषण के लिए मिला है। शर्मनाक है कि कानपुर दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर घोषित किया गया है, जबकि नंबर एक पर चीन का बीजिंग शहर है। यह सूची ११ देशों के उन शहरों की है, जो प्रदूषण के लिए दुनिया भर में बदनाम हैं।
कनाडा के डलहौजी विवि में हुआ शोध
दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्वी एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में सेटेलाइट से हो रही पाल्यूशन मैङ्क्षपग से मिले 11 देशों के आंकड़ों की कनाडा के डलहौजी विश्वविद्यालय में पड़ताल की गई। जिसमें पता चला है कि प्रदूषण और धुएं ने कानपुर को दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बना दिया है। पहले पायदान पर चीन का बीजिंग शहर है तो तीसरे पर बांग्लादेश की राजधानी ढाका। इंवायर्नमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी रिसर्च जर्नल के अक्टूबर अंक में भी इसे प्रकाशित किया जा चुका है।
आईआईटी में लगे उपकरण से लिए गए थे नमूने
वर्ष २०१५ से २०१८ के बीच सेटेलाइट मैपिंग के दौरान मिले प्रदूषण के बाद ११ देशों के प्रमुख औद्योगिक शहरों पर शोध शुरू किया गया। कानपुर में धूल, धुएं, गैस और धातुओं के अतिसूक्ष्म कणों यानी पीएम 2.5 के घनत्व को आंकने के लिए आइआइटी कैंपस में चार उपकरण (ग्राउंड एयरोनॉट) लगे हैं। इनसे 25 वर्ग किमी दायरे से नमूने लिए गए। यहां हवा में मौजूद स्पार्टन (सरफेस पर्टिकुलेट मैटर नेटवर्क) के ग्लोबल केमिकल ट्रांसपोर्ट मॉडल के तहत दुनियाभर से लिए इन आंकड़ों में बीजिंग के बाद कानपुर सबसे बदहाल पाया गया।
४५ फीसदी प्रदूषण घरों और शादी समारोह से
कानपुर शहर में पीएम 2.5 का सालाना औसत 7.2 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है तो मिनरल डस्ट (कॉपर, आयरन व आर्सेनिक के सूक्ष्म कण) 5.6 और ब्लैक कार्बन 5.6 माइक्रोग्राम है। जबकि अतिसूक्ष्म कणों में सर्वाधिक 45 फीसद हिस्सा घरों के चूल्हे, अलाव, समारोह, तंदूर, भ_ी, खानपान के ठेले व निर्माण क्षेत्र के धुएं का है। शोध में शामिल प्रो. सच्चिदानंद त्रिपाठी बताते हैं कि कानपुर के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र से आंकड़े जुटाए गए। झोपड़पट्टी भी पीएम 2.5 की बड़ी वाहक निकलीं। पावर प्लांट 23 फीसद, औद्योगिक अपशिष्ट 20 फीसद और वाहन आठ फीसद योगदान दे रहे हैं। बाकी हिस्सा कृषि का है।
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