दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्वी एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में सेटेलाइट से हो रही पाल्यूशन मैङ्क्षपग से मिले 11 देशों के आंकड़ों की कनाडा के डलहौजी विश्वविद्यालय में पड़ताल की गई। जिसमें पता चला है कि प्रदूषण और धुएं ने कानपुर को दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बना दिया है। पहले पायदान पर चीन का बीजिंग शहर है तो तीसरे पर बांग्लादेश की राजधानी ढाका। इंवायर्नमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी रिसर्च जर्नल के अक्टूबर अंक में भी इसे प्रकाशित किया जा चुका है।
वर्ष २०१५ से २०१८ के बीच सेटेलाइट मैपिंग के दौरान मिले प्रदूषण के बाद ११ देशों के प्रमुख औद्योगिक शहरों पर शोध शुरू किया गया। कानपुर में धूल, धुएं, गैस और धातुओं के अतिसूक्ष्म कणों यानी पीएम 2.5 के घनत्व को आंकने के लिए आइआइटी कैंपस में चार उपकरण (ग्राउंड एयरोनॉट) लगे हैं। इनसे 25 वर्ग किमी दायरे से नमूने लिए गए। यहां हवा में मौजूद स्पार्टन (सरफेस पर्टिकुलेट मैटर नेटवर्क) के ग्लोबल केमिकल ट्रांसपोर्ट मॉडल के तहत दुनियाभर से लिए इन आंकड़ों में बीजिंग के बाद कानपुर सबसे बदहाल पाया गया।
कानपुर शहर में पीएम 2.5 का सालाना औसत 7.2 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है तो मिनरल डस्ट (कॉपर, आयरन व आर्सेनिक के सूक्ष्म कण) 5.6 और ब्लैक कार्बन 5.6 माइक्रोग्राम है। जबकि अतिसूक्ष्म कणों में सर्वाधिक 45 फीसद हिस्सा घरों के चूल्हे, अलाव, समारोह, तंदूर, भ_ी, खानपान के ठेले व निर्माण क्षेत्र के धुएं का है। शोध में शामिल प्रो. सच्चिदानंद त्रिपाठी बताते हैं कि कानपुर के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र से आंकड़े जुटाए गए। झोपड़पट्टी भी पीएम 2.5 की बड़ी वाहक निकलीं। पावर प्लांट 23 फीसद, औद्योगिक अपशिष्ट 20 फीसद और वाहन आठ फीसद योगदान दे रहे हैं। बाकी हिस्सा कृषि का है।