शहर को प्रदूषण मुक्त बनाने को लेकर केवल बातें होती रहीं पर काम कहीं नही हुआ। यहां तक कि शहर में केवल एक ही प्रदूषण मापक यंत्र लगा हुआ है और वह भी अक्सर खराब रहता है। इस यंत्र से आसपास के ५०० मीटर में ही प्रदूषण की स्थिति का आंकलन हो सकता है। बाकी शहर में किस जगह कितना प्रदूषण है इसका पता ही नही लग सकता।
कानपुर के दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर बार कानपुर के प्रदूषण का मामला उठाया और इसे खत्म करने पर जोर दिया। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी शहर की गंदगी को लेकर अफसरों को कई बार फटकार भी लगाई, लेकिन अफसर प्रदूषण को लेकर सक्रिय नहीं हुए।
शहर में जगह-जगह कूड़ा जलाने से भी प्रदूषण बढ़ रहा है। भौतीं के पास जहां कूड़ा डंप किया जाता है वहां पर कूड़ा जलाए जाने से जहरीला धुंआ हवा को प्रदूषित कर रहा है। इसके अलावा वाहनों से निकलने वाला धुंआ भी स्थिति को और खराब करता है।
हाईवे पर उठने वाली धूल के कण हवा में मिलकर नाक के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं और फेफड़ों में चिपक जाते हैं, इसके अलावा आंखों में भी खुजली और जलन पैदा करते हैं। ये कण आंखों में जोर से चुभते हैं और आंखें लाल हो जाती हैं।