नुपुर का जीवन सफर आसान नहीं रहा। जिसे टीवी पर देखने के लिए पूरा शहर गुरुवार रात का इंतजार कर रहा है, उसकी तरफ पहले कोई देखना भी पसंद नहीं करता था। केबीसी के मंच पर जिस नूपुर के साथ महानायक अमिताभ बच्चन बैठेंगे, उसके साथ पहले कोई बैठना भी पसंद नहीं करता था। उसके शरीर का दाहिना हिस्सा पूरी तरह से खराब है, इसलिए उसे स्कूल में प्रवेश नहीं मिलता था। जहां प्रवेश मिलता था, वहां से भी निकाल दिया जाता था। बड़ी मुश्किल से छोटे-मोटे स्कूल से पढ़कर नूपुर ने १२वीं तक की शिक्षा पूरी की।
नूपुर को बचपन से ही एक बात अखरती थी कि उसकी शरीरिक अक्षमता की वजह से उसे सम्मान नहीं बल्कि सहानुभूति मिलती थी। उसने कुछ ऐसा करने की ठानी कि उसे भी लोग सम्मान की नजर से देखें। उसने इसी धुन में खुद को केबीसी के लिए तैयार किया। आखिरकार उसकी मेहनत रंग लाई और उसका चयन हो गया।
नूपुर का कहना है कि वह केबीसी से जो भी रकम जीतेंगी उससे अपने पैतृक गांव में माता-पिता को एक अच्छा घर बनवाकर देंगी। इसके अलावा वह दिव्यांग बच्चों में नई उम्मीद और हौसला जगाने के लिए एक ट्रेनिंग सेंटर भी खोलना चाहती हैं।