स्कूल की टीचर का कहना है कि कुछ साल पहले स्कूल के एक कर्मचारी की पत्नी ने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। इसे बाद स्कूल के कुछ बच्चे बीमार पढ़ गए थे।
Haunted Schools
विनोद गिनम.
कानपुर. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के बदहाल स्कूलों पर गहरी नराजगी जताते हुए इस पर मुख्य सचिव से जवाब मांगा है। कानपुर नगर में 1674 प्राथमिक, 822 उच्च प्राथमिक स्कूल व आठ हजार शिक्षक के साथ ही 2.20 लाख बच्चे पढ़ते हैं। इनमें से आठ सौ में मूलभूति सुविधाओं का अभाव है। इन्हीं में एक अनवरगंज स्थित बंगल नंबर 128 में प्राथमिक स्कूल है। स्कूल में दो कमरे और तीन शिक्षिका थीं और गिनती के 10 बच्चे हैं। बच्चे के कम होने के चलते एक शिक्षिका का ट्रांसफर कर दिया गया है। स्कूल की टीचर का कहना है कि कुछ साल पहले स्कूल के एक कर्मचारी की पत्नी ने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। इसे बाद स्कूल के कुछ बच्चे बीमार पढ़ गए थे। साथ ही स्कूल के अंदर ही एक छात्र की मौत भी हो गई थी। फिर ऐसी अफवाह फैली की महिला की आत्मा स्कूल के कमरे में रहती है और इसी के चलते अभिवावकों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया।
पांच साल पहले महिला ने किया था सुसाइड
स्कूल की टीचर रजनी गुप्ता ने बताया कि इस स्कूल में पांच साल पहले ठीक-ठाक छात्र थे, लेकिन स्कूल के कर्मचारी की पत्नी ने कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी थी। महिला की मौत के बाद 2014 में स्कूल के एक साथ दो दर्जन बच्चे बीमार पढ़ गए। इसके बाद स्कूल के एक छात्र को मृतका कमरे के चेयर में बैठी मिली। छात्र महिला को देखकर डर गया और उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। इसके बाद यहां के लोगों ने भी मृतक महिला को स्कूल के अंदर देखा। अफवाह के बाद प्राथमिक स्कूल में बच्चे एकाएक कम हो गए। हालात ऐसे हैं कि अब अभिवावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतराते हैं।
शाम ढलते ही सुनाई देती है रोने की आवाज
बंगला नंबर 128 निवासी ब्रजेश कुछवाहा ने बताया कि पांच साल पहले मरी महिला की आत्मा आज भी स्कूल में मौजूद रहती है। मोहल्लेवालों ने स्कूल में हवन भी कराया, और तांत्रिकों को बुलकार आत्मा को भगाने के लिए प्रयास किए, लेकिन वह उसी कमरे में अपना ठिकाना बनाए हुए है। शाम होते ही उसकी आहट सुनाई देने लगती है। कभी रोने की तो कभी गाना गुनगुनाने की। बताया इसी साल दीपावली पर्व के दिन मोहल्ले के कई लोगों ने लाल जोड़े में मृतक महिला को स्कूल के अंदर जाते हुए देखा था।
शिक्षिका ने मुनादी करवाई, बावजूद नहीं आए बच्चे
स्कूल की टीचर ने बताया कि लोगों की अफवाह के चलते हमारे स्कूल में बच्चे नहीं आ रहे हैं। इस साल स्कूल खुलने के बाद हमने खुद पैदल निकलकर लोगों को घरों में जाकर बच्चे भेजने का अनरोध किया था। साथ ही मुनादी भी करवाई, बावजूद बच्चे स्कूल में एडमीशन के लिए नहीं आए। टीचर के मुताबिक कमरे में वैसे हमें कभी ऐसी आत्मा नहीं दिखी। वहीं सब भ्रम फैलाया गया है। इसके पीछे प्राइवेट स्कूल कुछ हद तक जिम्मेदार हैं। हमने स्कूल के लिए नई बिल्डिंग का निर्माण कराए जाने के लिए जिला बेसिक अधिकारी को पत्र लिखा है। अगर स्कूल को नया भवन मिल जाए तो बच्चों की संख्या में जरूर इजाफा हो सकता है |