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एक थे जिंदादिल आईपीएस सुरेंद्र दास, जिन्हें लखनऊ में भाई से मिली मुखाग्नि

locationकानपुरPublished: Sep 10, 2018 01:01:36 pm

सीधे-साधे, ईमानदार मानवीय संवेदनाओं से भरे, रिश्तो को संजोकर रखने वाले सुरेंद्र कुमार दास के लिए वह आंखें भी डबडबाईं, जो गुस्सेबाज होने के लिए पहचानी जाती हैं।

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एक थे जिंदादिल आईपीएस सुरेंद्र दास, जिन्हें लखनऊ में भाई से मिली मुखाग्नि

कानपुर. राजधानी लखनऊ का एकता नगर मोहल्ला और भैंसाकुंड श्मशानघाट। दोपहर करीब 12.10 बजे नरेंद्र दास मुखाग्नि लेकर आगे बढ़े तो सैकड़ों लोग बिलख पड़े। बहुत ही गमगीन माहौल था। बेहद सख्त मिजाज वालों की आंखों से भी अश्क लुढक़ रहे थे। सीधे-साधे, ईमानदार मानवीय संवेदनाओं से भरे, रिश्तो को संजोकर रखने वाले सुरेंद्र कुमार दास के लिए वह आंखें भी डबडबाईं, जो गुस्सेबाज होने के लिए पहचानी जाती हैं। कई शहरों के आईएएस और आईपीएस के साथ-साथ पीपीएस और पीसीएस, जिनकी पहचान ही कडक़ अफसरों के रूप में होती है, वे सभी पिघले से खड़े थे। भरी आंखेें, निढाल कंधे, मन में कौंधते हजारों सवाल और एक मलाल। मलाल यह कि आखिर सुरेंद्र इस कदर क्यों टूट गया था।

बड़े भाई ने चिता सजाई, ससुर को किसी ने पूछा तक नहीं

बीते बुधवार को कानपुर के सरकारी आवास में जहर खाकर जिंदगी का अंत करने की कोशिश करने वाले सुरेंद्र दास की बीते दिवस रविवार की दोपहर 12.19 बजे मृत्यु हो गई थी। परिजनों की इच्छा के अनुसार, पार्थिक शरीर को मां-बड़े भाई के सुपुर्द कर दिया गया था। परिजनों ने लखनऊ में अंतिम संस्कार करने का फैसला किया था। सोमवार को सुबह करीब 11 बजे शवयात्रा एकता नगर से निकली, जोकि आधे घंटे में भैंसाकुंड घाट पहुंच गई। यहां सुरेंद्र दास के बड़े भाई नरेंद्र दास ने मुखाग्नि देेकर अपने अनुज को दुनिया से विदा किया। इस दौरान सुरेंद्र दास के ससुर डॉ. रावेंद्र सिंह भी मौजूद रहे। डॉ. रावेंद्र एकता नगर भी पहुंचे थे, लेकिन सुरेंद्र के परिजनों के साथ-साथ मित्रों और मोहल्ले वालों ने उनके साथ बात करना भी मुनासिब नहीं समझा।

मातहतों के प्रति थे संवेदनशील, तुरंत देते थे छुट्टी

आईपीएस सुरेंद्र दास दास मातहतों के प्रति संवेदनशील हैं। उनके दोस्तों ने बताया कि दिल्ली में तैयारी के दौरान 2014 में उनका परिणाम आया था। घर वापस लौटते समय सुरेंद्र ने चौराहे पर खड़े पुलिसकर्मी से टैक्सी के बारे में पूछा था। इसपर पुलिसकर्मी नाराज हो गए थे। खुद के आइपीएस बनने की जानकारी देने के बाद सुरेंद्र ने सिपाहियों से नाराजगी की वजह पूछी थी। सिपाहियों ने छुट्टी नहीं देने की शिकायत की थी। दोस्तों ने बताया कि इस घटना ने सुरेंद्र को काफी प्रभावित किया था। वह अक्सर कहते थे कि पुलिसकर्मियों को छुट्टी मिलनी चाहिए। इसी नाते वह अपरिहार्य स्थितियों को छोडक़र अपने मातहतों की छुट्टी तुरंत स्वीकृत करते थे। मोहल्ले वालों ने बताया कि आईपीएस बनने के बाद सुरेंद्र ने एकता नगर में अपने मकान में परिवारीजन, रिश्तेदारों व दोस्तों को दावत पर बुलाया था।
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