एसआरजीएम की खास बात है कि इससे 76 मिलीमीटर के गोले दागे जा सकते हैं जो 1 मिनट में 120 राउंड गोले दाग सकती है। जिसकी मारक क्षमता 20 किलोमीटर है। इसके बैरल की लंबाई सवा चार मीटर है। इसके बनने में 3 साल लगे हैं। 12 इंजीनियरों की मेहनत से यह सफलता हाथ लगी है। इसके पूर्व सुपर रैपिड गन माउंट को भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड तैयार करता था। इसके पार्ट इटली से मंगाए जाते थे। जिसे ‘भेल’ यानी ‘BHEL’ में तैयार किया जाता था। विदेश से पार्ट्स से मंगाए जाने के कारण इसकी कीमत काफी अधिक हो जाती थी। एक सुपर रैबिट गन माउंट की कीमत लगभग ₹8 करोड़ होती थी। जिसकी कीमत अब स्वदेश में बनने के कारण काफी कम हो जाएगी।
भारतीय नौसेना के युद्धपोत का सुपर रैपिड गन माउंट प्रमुख हथियार है। जिसके माध्यम से समुद्री सीमा में उत्पन्न होने वाली खतरनाक स्थिति से सामना किया जाता है। बंगाल की खाड़ी से लेकर अरब सागर की समुद्री सीमा की सुरक्षा में लगे भारतीय नौसेना के लिए सुपर रैपिड माउंट गन के महत्व को समझा जा सकता है। समुद्री सीमाओं की सुरक्षा आज चुनौती बनी हुई है। जब आतंकवादी, ड्रग्स तस्कर के पास अत्याधुनिक हथियार पहुंच गए हैं। ऐसे में इनका सामना करने के लिए एडवांस वेपन एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड की सुपर रैपिड अमाउंट गन भारतीय नौसेना की मारक क्षमता को बढ़ाएगी।
इसकी उपयोगिता को देखते हुए भारतीय नौसेना ने 40 गन माउंट का आर्डर दिया है। ऑर्डिनेंस डेवलपमेंट सेंटर के निदेशक एहतेशाम अख्तर के अनुसार फील्ड गन फैक्ट्री के सुपर रैपिड गन माउंट का आर्डर मिलने से इकाई में उत्साह है। ऑर्डिनेंस डेवलपमेंट सेंटर के इंजीनियर भारतीय सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए लगातार अनुसंधान कर रही है। इसी क्रम में 40 सुपर रैपिड गन माउंट का ऑर्डर मिला है।