कानपुर

तब्लीगियों पर बयान देकर खूब बटोरी सुर्खियां, दो माह बाद कानपुर मेडिकल कॉलेज की प्राचार्या डॉ. लालचंदानी निशाने पर

-कानपुर मेडिकल कालेज की प्राचार्या ने मांगी मुस्लिम समाज से मांगी माफी-अब झांसी मेेडिकल कालेज में ज्चानिंग को लेकर संशय

कानपुरJun 05, 2020 / 01:20 pm

Mahendra Pratap

तब्लीगियों पर बयान देकर खूब बटोरी सुर्खियां, दो माह बाद कानपुर मेडिकल कॉलेज की प्राचार्या डॉ. लालचंदानी निशाने पर

पत्रिका इन्डेप्थ स्टोरी
कानपुर. कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज की प्राचार्या आरती दवे लालचंदानी पर यूपी सरकार की आखिरकार नजर टेढ़ी हो ही गयी। स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई करते हुए उन्हें झांसी के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज की प्राचार्या के पद पर स्थानांतरित कर दिया है। स़ूत्रों के अनुसार आरती दवे लालचंदानी ने अपने ट्रांसफर आर्डर को स्वीकार नहीं किया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने पांच मिनट की वीडियो में तब्लीगी जमात पर आपत्तिजनक टिप्पणी की है। वीडियो में भाजपा सरकार पर टिप्पणी है। जिसमें उन्होंने कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार उनकी (तब्लीगियों) खुशामदी कर रही और अपने संसाधनों को बेकार कर रही है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। इस वीडियो के जारी होने के बाद तब्लीगियों से जुड़ी खबरें खूब वायरल हुई थीं।
करीब 5 मिनट के वायरल वीडियो में डॉ. आरती लालचंदानी को अनाधिकारिक तौर पर बातचीत में यह कहते हुए सुना जा सकता है कि तब्लीगी जमात के लोग आतंकी हैं। उन्हें जेल भेजा जाना चाहिए, लेकिन उन्हें वीआईपी ट्रीटमेंट के लिए हॉस्पिटल भेजा जा रहा है। जिन्हें जंगल में छोडऩा चाहिए वे यहां हैं। इससे अस्पताल के संसाधन और मैनपावर सभी का नुकसान हो रहा है। डॉ. लालचंदानी एक जगह कहती हैं कि सरकार की यूपी सरकार खुशामदी के लिए इन्हें अस्पताल में भर्ती करवा रही है, जबकि इनके साथ सख्ती बरती जानी चाहिए।
डीएम ने सौंपी जांच रिपोर्ट :- सूत्रों के अनुसार कानपुर के जिलाधिकारी ब्रह्मदेव तिवारी ने इस प्रकरण की रिपोर्ट प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा रजनीश दुबे को सौंपी थी। इस रिपोर्ट के बाद डॉक्टर आरती दवे लालचंदानी पर कार्रवाई करते हुए झांसी ट्रांसफर कर दिया गया है। जहां उन्हें महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज का प्राचार्या बनाया गया है। बताया जा रहा है कि डॉक्टर लालचंदानी ने झांसी नहीं जाना चाहती हैं। यह भी सूचना आ रही है कि जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर के प्राचार्य की जिम्मेदारी प्रोफेसर आरबी कमल को सौंपी जा सकती है। अभी इसका आधिकारिक तौर पर ऐलान नहीं हुआ है।
पांच मिनट के वीडियो की आफत :- डॉक्टर आरती दवे लालचंदानी का सोशल मीडिया में वायरल पांच मिनट का वीडियो करीब दो माह पुराना है। इस वीडियो में डाक्टर लालचंदानी को तब्लीगी जमात के बारे में यह कहते सुना जा सकता है कि “ये लोग आतंकी हैं, लेकिन उन्हें वीआईपी उपचार दिया जा रहा है।”, उन्होंने आगे कहा कि उनके अस्पताल को समूह से जुड़े रोगियों के लिए अपने संसाधनों को खत्म करना पड़ा, डॉक्टरों को जोखिम में डालना पड़ा रहा है, जबकि मरीजों के होटल के बिलों का भुगतान किया गया था। यूपी सरकार सिर्फ तुष्टीकरण करने के लिए इन लोगों को अस्पताल में भर्ती करवा रही है, उन्होंने सरकार को सलाह देते हुए कहा था कि इनके साथ सख्ती से पेश आना चाहिए।
डॉ आरती ने कहा वीडियो झूठा :- वीडियो वायरल होने के बाद जब इस पर हंगामा मचा तो डॉ आरती ने अपने बचाव में कहा था कि यह वीडियो झूठा है, जिसे बदल दिया गया है, ताकि पैसे लिए जा सकें और प्रशासनिक फायदे प्राप्त किए जा सकें। उन्होंने दावा किया था कि पूरे वीडियो में कहीं भी उन्होंने तब्लीगी या मुस्लिम शब्द का इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल करने वाले पत्रकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की बात भी कही थी। हालांकि, अभी तक इस मामले में कोई एफआईआर नहीं कराई गई है।
स्थानांतरण की जानकारी से इनकार :- डॉ. लालचंदानी ने 31 मई को पुष्टि की थी कि वायरल वीडियो के संबंध में प्रमुख सचिव रजनीश दुबे ने उनसे बात की थी और उन्होंने इस वीडियो के बारे में अपना पक्ष उन्हें बता दिया था। जबकि, कानपुर डीएम तिवारी ने कहा कि उन्हें लालचंदानी के स्थानांतरण के बारे में कोई जानकारी नहीं है, वहीं फोन पर प्रमुख सचिव रजनीश दुबे से इस बारे में कोई बात नहीं हो सकी।
अल्पसंख्यक समुदाय के लिए “विशेष प्रेम” :- विवाद के बढ़ जाने के बाद, डाक्टर लालचंदानी ने एक वीडियो के जरिए बयान जारी करते हुए कहा कि उन्हें अल्पसंख्यक समुदाय के लिए “विशेष प्रेम” है और उन्होंने कई मुस्लिम छात्रों को पढ़ाया है। उसने यह भी कहा कि कई मुस्लिम रोगियों ने उनके ठीक होने के बाद कर्मचारियों को धन्यवाद दिया। डाक्टर लालचंदानी ने मुस्लिम भाइयों और बहनों की भावनाओं आहत करने के लिए क्षमायाचना का एक पत्र भी जारी किया।
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